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रोशनी में अंधेरे को छुपाना है

प्रो.स्वप्निल व्यास
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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रोशनी के आगोश में अंधेरे को छुपाना है,
बिखरे घरोंदे को फिर से सँवारना है।
इस बार फिर दिवाली मनाना है…

उम्मीदों के रंग से दीवालों को रँगना है,
आँगन में ख्वाइशों की रंगोली गढ़ना है।
इस बार फिर दिवाली मनाना है…

कड़वे होते रिश्तों में मिठास भर देनी है,
अबोलों से बोल कर नई शुरुआत करना है।
इस बार फिर दिवाली मनाना है…

पाई-पाई की बचत को अपनों पर लुटाना है,
जो होगा..देख कर आज त्योहार मनाना है।
इस बार फिर दिवाली मनाना है…

दरिद्रता के साथ दुर्भावना को भगाना है,
बड़ों को धोक..छोटों को गले लगाना है।
इस बार फिर दिवाली मनाना है॥

परिचय-प्रो.स्वप्निल व्यास का निवास इंदौर में ही है। आपकी जन्मतिथि ३ जुलाई १९८४ तथा जन्म स्थान-इंदौर है।  मध्यप्रदेश राज्य के इंदौर वासी प्रो.स्वप्निल व्यास ने वाणिज्य में स्नातक पश्चात पत्रकारिता में भी स्नातक-स्नातकोत्तर उपाधि हासिल करने के साथ ही पीजीडीबीए,एमबीए,समाज कार्य विषय में एवं लोक प्रशासन में स्नातकोत्तर कर लिया है। आपका कार्य एक निजी महाविद्यालय में सहायक प्राध्यापक का है। सामाजिक गतिविधि-के अंतर्गत सामुदायिक परामर्शदाता का कार्य भी करते हैं। आपकी लेखन विधा-लेख और कविता है,जबकि प्रेरणा पुंज-माता-पिता हैं। स्वप्निल जी के लेखन का उद्देश्य-जागृति,संवाद के लिए स्वतन्त्र लेखन करते रहना है।

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