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शुभ दीपावली

प्रेमशंकर ‘नूरपुरिया’
मोहाली(पंजाब)

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आओ चल-चल कर अब सबको जगाएंगे हम,
इस बार कुछ अलग से दिवाली मनाएंगे हम।
पूरे देश में कंधे से कंधा मिलाकर चलें हम,
इस दिवाली प्रेम के दीपों से सजाकर चलें हम।
इस दिवाली में चुनकर ऐसे पुष्प खिलाएंगे हम,
इस बार कुछ अलग से दिवाली मनाएंगे हम॥

नफ़रत को प्रेम से जीतेंगे इस दिवाली में हम,
अंधकार में रौशनी सींचेंगे इस दिवाली में हम।
पहला दीप उन वीर जवानों के नाम जलाएंगे,
जिनकी सुरक्षा से हम सुरक्षित दिवाली मनाएंगे।
सर्वप्रथम उनके सम्मान में शीश झुकाएंगे हम,
इस बार कुछ अलग से दिवाली मनाएंगे हम॥

अब एक दीपक उस मेहनती किसान के लिए,
जो दिवाली नहीं मनाता अपने अनाज के लिए।
मिठाई के साथ हम सभी को अपना प्रेम बांटेंगे,
रिश्तों में लगी दूरी की जंग को मिलकर काटेंगे।
ऐसे प्रेम के बादलों से प्रीत की वर्षा कराएंगे हम,
इस बार कुछ अलग से दिवाली मनाएंगे हम॥

देश की मिट्टी में जन्में वचन अपना निभाना है,
मिट्टी के सुंदर दीपकों से घर अपना सजाना है।
मानो,तुम ऊंचे विचार,स्वभाव देसी अपनाओ,
मिट्टी के दीए,और सजावट स्वदेसी अपनाओ।
वादा करो,मिल कर गीत खुशियों के गाएंगे हम,
इस बार कुछ अलग से दिवाली मनाएंगे हम॥

परिचय-प्रेमशंकर का लेखन में साहित्यिक नाम ‘नूरपुरिया’ है। १५ जुलाई १९९९ को आंवला(बरेली उत्तर प्रदेश)में जन्में हैं। वर्तमान में पंजाब के मोहाली स्थित सेक्टर १२३ में रहते हैं,जबकि स्थाई बसेरा नूरपुर (आंवला) में है। आपकी शिक्षा-बीए (हिंदी साहित्य) है। कार्य क्षेत्र-मोहाली ही है। लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और कविता इत्यादि है। इनकी रचना स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं में छपी हैं। ब्लॉग पर भी लिखने वाले नूरपुरिया की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक कार्य एवं कल्याण है। आपकी नजर में पसंदीदा हिंदी लेखक-मुंशी प्रेमचंद,जयशंकर प्रसाद, अज्ञेय कमलेश्वर,जैनेन्द्र कुमार और मोहन राकेश हैं। प्रेरणापुंज-अध्यापक हैं। देश और हिंदी के प्रति विचार-
‘जैसे ईंट पत्थर लोहा से बनती मजबूत इमारत।
वैसे सभी धर्मों से मिलकर बनता मेरा भारत॥
समस्त संस्कृति संस्कार समाये जिसमें, वह हिन्दी भाषा है हमारी।
इसे और पल्लवित करें हम सब,यह कोशिश और आशा है हमारी॥’

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