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लहरें

डाॅ. पूनम अरोरा
ऊधम सिंह नगर(उत्तराखण्ड)
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दूर तलक हैं चलती जातीं,
यादों संग लौट कर आतीं।
दिन-रात कभी न सो कर,
तन-मन मेरा भिगो जातीं।
रंग-बिरंगी मृदु रेत देकर,
स्वच्छ जल से पग हैं धोती।
स्फटिक उज्ज्वल गौरवर्णी,
दौड़-दौड़ कर मिलने आतीं।
लहरें हैं या ये सखी-सहेली,
सीपियाँ तोहफे में दे जातीं॥

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