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लोकसभा चुनाव:सभी दलों और उम्मीदवारों के नाम मतदाताओं की अपील

निर्मलकुमार पाटोदी
इन्दौर(मध्यप्रदेश)

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भारत,भारतीय भाषाओं और भारतीयता के लिए मंथन का आव्हान

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्रीय राष्ट्र है। देश के ९० करोड़ मतदाता ११ अप्रैल से १९ मई के बीच लोकसभा की ५४३ सीटों के लिए मतदान करेंगे। इसमें ५४३ सदस्य विजयी होंगे, उनसे और उनके दलों से ९० करोड़ मतदाताओं की स्पष्ट, नैतिक और लोकतंत्र को पुष्ट करने की दृष्टि से राष्ट्र हितैषी अपील-आग्रह और अपेक्षा है;
-१९५२ से देश का सर्वोच्च अधिकार सम्पन्न लोकतंत्र का पावन मंदिर लोकसभा है।
-लोकसभा चुनाव में सभी दलों की ओर से तथा उम्मीदवार भी मतदाताओं की भाषा में बोलकर मत माँगते हैं। विदेशी भाषा अंग्रेज़ी में बोलकर अब तक कोई व्यक्ति चुनाव में विजयी नहीं हुआ है।
-लोकसभा और राज्यसभा में सभी सदस्यों को अपने-अपने राज्यों भाषाओं में पूर्व सूचना देकर बोलने की सुविधा उपलब्ध है।
-संसद में सदस्य अपने मतदाताओं की भाषाओं में बोलते हैं,तो सदन की टी.वी. स्क्रीन पर मतदाता सीधे-सीधे जान सकते हैं कि उनका प्रतिनिधि क्या बोल रहा है ? विदेशी भाषा अंग्रेज़ी में बोलने से मतदाताओं को मालूम ही नहीं पड़ता है कि उनका चुना हुआ प्रतिनिधि क्या बोला है ? अंग्रेज़ी भाषा को पूरे देश में अच्छी तरह से मुश्किल से दो या तीन प्रतिशत लोग ही जानते हैं।
-जो भी दर्शक लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही का सीधा प्रसारण देखते हैं,उन्हें मालूम है कि सदन में आधे सदस्य अंग्रेज़ी भाषा में बोलते हैं। वे सदन में मतदाताओं के सुख-दु:ख को मतदाताओं की भाषा में नहीं बोलते हैं।
-सत्रहवीं लोस में चुनकर पहुँचने वाले सभी ५४३ सदस्य लोकसभा में अपने-अपने मतदाताओं की भाषाओं को सम्मान देते हुए,उनकी भाषाओं में ही बोलेंगे,तो भारत की लोकसभा या लोकतंत्र सीधा-सीधा मतदाताओं से जुड़ जाएगा। संसद जनता का सच्चा दर्पण बन जाएगी।
अत: स्वतंत्र भारत के लोकतंत्र की मज़बूती के हित में लोकसभा के इस चुनाव में सभी राजनीतिक दलों के सभी उम्मीदवार खुले रूप में अपनी प्रचार सामग्री में घोषित करें कि,वे विजयी होने पर लोकसभा में सिर्फ अपने मतदाताओं की भाषाओं में ही बोलेंगे। जनता को सभी सूचनाएँ व सुविधाएँ कानूनन जनता की भाषा में (देश और राज्य की भाषा में) ही देंगे। ऐसी ही घोषणा का वचन सभी दल भी दें।
सभी सजग और सतर्क मतदाताओं से अनुरोध है कि,लोकतंत्र के इस महान यज्ञ में अपनी आहुति के रूप में इस विचार को देश के हर क्षेत्र में हर स्तर पर सामाजिक मीडिया आदि पर प्रसारित-प्रचारित करें। इस संदेश को जन-जन तक पहुँचाने में सहयोग करें। भारत,भारतीय भाषाओं व भारतीयता के लिए मंथन का यह आह्वान है। जनभाषा-प्रेमी दें अपने सुझाव भी दे सकते हैंl

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