हेमा श्रीवास्तव ‘हेमाश्री’
प्रयाग(उत्तरप्रदेश)
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ओढ़ छतरी लोकतंत्र की
जा पहुचे संसद नेता जी
नोट गिनें और ओट लूटे
बढ़ी समस्या जनता की।
करते मत का हैं दुरुपयोग
कुछ शकुनी दुर्योधन लोग
सत्ता की चाबी हथिया कर
करते माल की लूटखसोट।
सबसे बड़ा लोकतंत्र भारत
फिर भी जनता में महाभारत
कौन ? यहाँ पर सगा तुम्हारा
सब नेता तो बन बैठे हैं नारद।
जमाखोरी,घूसखोरी की चाह
करती रही,राष्ट्र का विनाश
अब भी समय बचा है प्यारों
मत चुनना कोई भी तानाशाह।
जीत का लालच इनमें घुसा है
इनका झूठ किससे छुपा है
करते हैं जो वादों की बरसात
मिलते ही कुर्सी,पड़ा सूखा है।