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नेताजी

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड) 
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देखो सज-धज कर नेताजी आए हैं,
सब जन हेतु साथ खुशियां लाए हैं,
देखो सज-धज कर नेताजी आए हैं,
दर्शन इनके पाँच साल में हो पाए हैं,
काका-काकी दादा-दादी दौड़े आओ,
संग पड़ोसियों को तुम जोड़े लाओ,
मिले भाग्य से हमें नेताजी के साए हैं,
देखो सज-धज कर नेता जी आए हैं।

नेताजी के हैं कई रूप,
सताती न इन्हें आज धूप,
रखते व्रत और पीते सूप,
कर जोड़ खड़े संत स्वरूप,
नेताजी के हैं कई रूप।

नेताजी की बस एक ही इच्छा,
सर्वजन दें उन्हें वोट की भिक्षा,
विरोधी उनके बचें ना कोई एक,
वोटोपरांत वे रखेंगे ना इरादे नेक,
नेताजी की बस एक ही इच्छा।

जीत जब हमारे नेताजी को मिला है,
चहुँओर होली-सा मौसम खिला है,
तत्पश्चात बस अपना जेब रंगीला है,
गरीबों की करते नहीं अब वे बात,
लूट की ही देते हैं बस अब सौगात,
लूट की ही देते हैं बस अब सौगात।

देखो अब नेताजी कहाँ नजर आते हैं,
उनके दर्शन अब संभव कहाँ हो पाते हैं,
गरीबी मिटाने की करते थे सदा वे बात,
गरीबों को मिटाने में देते हैं अब साथ,
रोकने की जनता में रही ना औकात,
रोकने की जनता में रही ना औकात।

जागो जनता जागो,
ऐसे नेताजी से दूर भागो,
वोट में करो इनका बहिष्कार,
सच्चे और अच्छे को वोट दो,
बनाओ तूम एक योग्य सरकार,
तब सुरक्षित होगा तुम्हारा अधिकार,
तब सुरक्षित होगा तुम्हारा अधिकारll

परिचय-साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैl जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैl भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैl साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैl आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैl सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंl लेखन विधा-कविता एवं लेख हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैl पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंl विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।

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