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वासंती कविताएं सुनाकर खूब लुभाया

हैदराबाद (तेलंगाना)।

केंद्रीय हिन्दी संस्थान, विश्व हिन्दी सचिवालय, अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद और वातायन के तत्वावधान में वैश्विक हिन्दी परिवार द्वारा सुप्रसिद्ध कवि डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र की अध्यक्षता में वासंती स्वर पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि डॉ. लक्ष्मी शंकर वाजपेयी रहे। इस दौरान वासंती स्वर जमकर फूटे।
फागुन के इस कार्यक्रम का ३० से अधिक देशों के सुधी श्रोताओं ने भरपूर आनन्द उठाया। आरंभ में रेलवे बोर्ड में राजभाषा के निदेशक डॉ. बरुण कुमार ने वसंत ऋतु की सारगर्भित पृष्ठभूमि प्रस्तुत की। ब्रिटेन में तकनीकीविद एवं कवयित्री आस्था देव ने अपनी वासंती प्राकृतिक कविता में जन्म भूमि के प्रति ललक को लेकर भारत और ब्रिटेन के तुलनात्मक वसंत की प्रस्तुति दी। आस्ट्रेलिया की रचनाकार रेखा राजवंशी द्वारा प्रकृति प्रेम सुनाया गया। ब्रिटेन की साहित्यकार दिव्या माथुर ने बाल कविता ‘सिया का पहला वसंत’ की प्रस्तुति दी, जिसमें वासंती जीवन दर्शन की बालपन अनुभूति थी। कवयित्री अलका सिन्हा द्वारा कविता में गाँव और शहर के बीच वसंत से प्राकृतिक गठबंधन कराया गया। दोहाकार कवि नरेश शांडिल्य ने ‘हृदय मिलन की आस, राधिके आया है मधुमास’ सुनाया।
हिन्दी परिवार के अध्यक्ष एवं साहित्यकार अनिल जोशी ने सभी का आदर करते हुए कालेज के समय की कविता सुनाई और ‘शब्द एक रास्ता है’ के माध्यम से साहित्य और जीवन दर्शन तथा साधना की अनुभूति कराई। वरिष्ठ कवि डॉ. वाजपेयी द्वारा वासंती शायरी सुनाई गई और आसमान से सुबह की लाली सी दृष्टि दी गई।
जापान से जुड़े पद्मश्री प्रो. तोमियो मिजोकामि ने कहा कि जापान में अभी वसंत नहीं आया है। वे भारत में इस माह वसंत में आ रहे हैं, जिससे बहुत हर्षित हैं।साहित्यकार डॉ. नारायण कुमार ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए निराला की कविता ‘मैं हूँ वसंत का अग्रदूत’ और सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता ‘वीरों का कैसा हो वसंत’ की तर्ज पर बूढ़ों का कैसा हो वसंत की आहट सुनाई।
कार्यक्रम में विदेश से नीलम जैन, डॉ. पदमेश गुप्त, अरुणा अजितसरिया, शैलजा सक्सेना, आरती लोकेश, प्रो. प्रिया और प्रो. अतिला कोतलावल आदि ने भी सहभागिता की। समूचा कार्यक्रम हिन्दी परिवार के अध्यक्ष अनिल जोशी के समन्वय में हुआ।
सिंगापुर से साहित्यकार आराधना झा श्रीवास्तव ने नपे-तुले-सधे शब्दों में बखूबी कवितामय संचालन संभाला।

दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. राजेश गौतम द्वारा आत्मीय भाव से नामोल्लेख सहित धन्यवाद ज्ञापित किया गया।