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विश्व संभ्रांत समाज की परिकल्पना सार्थक हो

अमल श्रीवास्तव 
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)

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राम नवमी विशेष….

सनातनी संस्कृति सदा से ही ‘आत्मवत सर्व भूतेषु’ तथा ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ का संदेश देती रही है,-

“सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे संतु निरामया।
सर्वे भद्राणि पश्यंतु, मा कश्चिद दुख भाग भवेत्॥”
उसकी सदा से अवधारणा रही है। इसको धरातल में उतारने हेतु कई संगठन अपने- अपने स्तर से लगातार प्रयास कर रहे हैं। इस दिशा में अखिल विश्व गायत्री परिवार एवं ब्रह्माकुमारी ईश्वरी विश्वविद्यालय ने उल्लेखनीय कार्य किया है। गायत्री परिवार की स्थापना वेदमूर्ति, तपोनिष्ठ पंडित श्री राम शर्मा आचार्य जी ने १९२६ में अखंड ज्योति प्रज्वलित करके की। उन्होंने-
‘हम बदलेंगे, युग बदलेगा।
हम सुधरेंगे, युग सुधरेगा।
मानव मात्र, एक समान।
नर और नारी, एक समान।
जाति वंश सब, एक समान।
विश्व का कल्याण हो।
प्राणियों में सद्भावना हो।
सारी वसुधा एक परिवार।’
जैसे उदघोषों के साथ १०० सूत्रीय कार्यक्रमों के माध्यम से समूचे विश्व में सुख, शांति की स्थापना हेतु संदेश दिया है। वर्तमान में पूरे विश्व के ९० देशों में लगभग २४ करोड़ गायत्री परिवार के सदस्य इस कार्य में तन, मन, धन से लगे हुए हैं। उन्होंने इस अभियान को युग निर्माण’ नाम दिया।
ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की स्थापना दादा लेखराज ने सन १९९३ में की।
उन्होंने आत्मा के सात गुणों-प्रेम, सुख, शांति, ज्ञान, आनंद, शक्ति और पवित्रता को पुनः प्राप्त करने का दर्शन प्रस्तुत किया, जिनके प्राप्त होते ही समूचे विश्व में सतयुग का वातावरण बन जाएगा। आज पूरे विश्व के १३७ देशों के केंद्रों के माध्यम से करोड़ों कार्यकर्ता ‘सतयुग की वापसी’ करने हेतु प्रयासरत हैं।
इसी परिप्रेक्ष्य में विश्व संभ्रांत समाज की स्थापना सन २०१० में विश्व रत्न पंडित शीतला प्रसाद त्रिपाठी ने की, जो अपने ४० बिंदुओं से इसी परिकल्पना को लेकर चल रहा है कि दुनिया में केवल एक ही जाति है ‘इंसान’ और एक ही धर्म है ‘इंसानियत’। इसे इस तरह भी कह सकते हैं कि-
केवल एक जाति है मानव,
मानवता ही एक धर्म है।
जियो और जीने दो सबको,
यही धर्म का मूल मर्म है॥
जब हम विश्व संभ्रांत समाज के परिकल्पना की बात करते हैं तो ‘राम राज्य’ की विशेषताएं सहज ही दिखाई देने लगती हैं। इतिहास में अभी तक की सारी शासन व्यवस्थाओं में से ‘राम राज्य’ की विशेषताएं सर्वश्रेष्ठ दृष्टिगोचर होती हैं। विशेषताएं बताते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी रामचरित मानस के उत्तर कांड में लिखते हैं कि-
राम राज्य बैठे त्रयलोका।
हर्षित भए गए सब शोका॥
बयर न कर काहू सन कोई।
राम प्रताप विषमता खोई॥
दैहिक, दैविक, भौतिक, तापा।
राम राज्य नहिं काहुहि ब्यापा॥
सब नर करहि परस्पर प्रीती।
चलहि स्वधर्म निरत श्रुति नीती॥
नहि दरिद्र कोउ दुखी न दीना।
नहि कोउ अबुध न लच्छन हीना॥
सब गुणज्ञ पंडित सब ज्ञानी।
सब कृतज्ञ नहि कपट सयानी॥
सब उदार सब पर उपकारी।
विप्र चरण सेवक नर नारी॥
एक नारि ब्रत रत सब झारी।
ते मन, बच, क्रम पति हितकारी॥
फूलहि, फरहि सदा तरु कानन।
रहहि एक संग गज, पंचानन॥
खग मृग सहज बयरू विसराई।
सबन परस्पर प्रीत बढ़ाई॥
उक्त विशेषताओं को देखते हुए यह निर्विवाद रूप से कहा जा सकता है कि, विश्व संभ्रांत समाज जिस युग की बात कर रहा है वह सभी विशेषताएं राम राज्य में थीं, और यही सब विशेषताएं सतयुग में थीं, इसीलिए गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है कि,-
ससि सम्पन्न सदा रह धरनी।
त्रेता भई सतयुग कै करनी॥
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि, विश्व संभ्रांत समाज की परिकल्पना राम राज्य की स्थापना या सतयुग की वापसी ही है। इसे
‘विश्व संभ्रांत समाज युग’ या ‘सतयुग की वापसी’ कहा जाना उचित प्रतीत होता है।ईश्वर से प्रार्थना है कि शीघ्र ही संभ्रांत समाज की परिकल्पना धरातल में दिखाई दे, ताकि पूरी दुनिया में राम राज्य की पुनर्स्थापना हो सके।

परिचय–प्रख्यात कवि,वक्ता,गायत्री साधक,ज्योतिषी और समाजसेवी `एस्ट्रो अमल` का वास्तविक नाम डॉ. शिव शरण श्रीवास्तव हैL `अमल` इनका उप नाम है,जो साहित्यकार मित्रों ने दिया हैL जन्म म.प्र. के कटनी जिले के ग्राम करेला में हुआ हैL गणित विषय से बी.एस-सी.करने के बाद ३ विषयों (हिंदी,संस्कृत,राजनीति शास्त्र)में एम.ए. किया हैL आपने रामायण विशारद की भी उपाधि गीता प्रेस से प्राप्त की है,तथा दिल्ली से पत्रकारिता एवं आलेख संरचना का प्रशिक्षण भी लिया हैL भारतीय संगीत में भी आपकी रूचि है,तथा प्रयाग संगीत समिति से संगीत में डिप्लोमा प्राप्त किया हैL इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकर्स मुंबई द्वारा आयोजित परीक्षा `सीएआईआईबी` भी उत्तीर्ण की है। ज्योतिष में पी-एच.डी (स्वर्ण पदक)प्राप्त की हैL शतरंज के अच्छे खिलाड़ी `अमल` विभिन्न कवि सम्मलेनों,गोष्ठियों आदि में भाग लेते रहते हैंL मंच संचालन में महारथी अमल की लेखन विधा-गद्य एवं पद्य हैL देश की नामी पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैंL रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी केन्द्रों से भी हो चुका हैL आप विभिन्न धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े हैंL आप अखिल विश्व गायत्री परिवार के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। बचपन से प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कृत होते रहे हैं,परन्तु महत्वपूर्ण उपलब्धि प्रथम काव्य संकलन ‘अंगारों की चुनौती’ का म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा प्रकाशन एवं प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा उसका विमोचन एवं छत्तीसगढ़ के प्रथम राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय द्वारा सम्मानित किया जाना है। देश की विभिन्न सामाजिक और साहित्यक संस्थाओं द्वारा प्रदत्त आपको सम्मानों की संख्या शतक से भी ज्यादा है। आप बैंक विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. अमल वर्तमान में बिलासपुर (छग) में रहकर ज्योतिष,साहित्य एवं अन्य माध्यमों से समाजसेवा कर रहे हैं। लेखन आपका शौक है।

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