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बेवक्त में सहारा नहीं मिलता

प्रदीपमणि तिवारी ध्रुव भोपाली
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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हर गली में शिवाला नहीं मिलता।
रौब वाला दुशाला नहीं मिलता।

खोजने से उजाला नहीं मिलता।
भूख मे हो निवाला नहीं मिलता।

यूँ ठिकाने बहुत मिल गये होंगे,
बेवक्त में सहारा नहीं मिलता।

भीड़ के बीच हों हम हजारों के,
डूबते को किनारा नहीं मिलता।

दम भरें हम सभी हैं हमारे तो,
वक्त में फिर हमारा नहीं मिलता।

वो कभी आ सके न जाने वाला,
यार बिछड़ा दोबारा नहीं मिलता।

प्यार जिससे हुआ जां लुटायें हम,
यार है जां से प्यारा नहीं मिलता।

दौर शोहरत का है मिला उनको,
सच तो ये दर का मारा नहीं मिलता।

हो गये चाँद तुम तो उजाले में,
यार रुख भी तुम्हारा नहींं मिलता।

आसमां से बड़ा कौन ‘ध्रुव’ सुन लो,
माँ बड़ी शान वाला नहीं मिलता॥

परिचय–प्रदीपमणि तिवारी का लेखन में उपनाम `ध्रुव भोपाली` हैl आपका कर्मस्थल और निवास भोपाल (मध्यप्रदेश)हैl आजीविका के लिए आप भोपाल स्थित मंत्रालय में सहायक के रुप में कार्यरत हैंl लेखन में सब रस के कवि-शायर-लेखक होकर हास्य व व्यंग्य पर कलम अधिक चलाते हैंl इनकी ४ पुस्तक प्रकाशित हो चुकी हैंl गत वर्षों में आपने अनेक अंतर्राज्यीय साहित्यिक यात्राएँ की हैं। म.प्र.व अन्य राज्य की संस्थाओं द्वारा आपको अनेक मानद सम्मान दिए जा चुके हैं। बाल साहित्यकार एवं साहित्य के क्षेत्र में चर्चित तथा आकाशवाणी व दूरदर्शन केन्द्र भोपाल से अनुबंधित कलाकार श्री तिवारी गत १२ वर्ष से एक साहित्यिक संस्था का संचालन कर रहे हैं। आप पत्र-पत्रिका के संपादन में रत होकर प्रखर मंच संचालक भी हैं।

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