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वो बचपन की याद फिर आयी

रूपेश कुमार
सिवान(बिहार) 
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वो बचपन की यादें फिर याद आयी,
ज़हाँ चिड़ियों की चहचहाहट रही चाँदनी
खेतों में खिलखिलाती रही रोशनी,
भँवरों में मुस्कुराहट भरी है।
वो बचपन की यादें फिर याद आयी…

सूर्य की किरणें चमकता ही रहता है,
पेड़ों में फल लदा ही रहता है
चिड़ियों में गूँज गूंजता ही रहता है,
मन में साँस चलता ही रहती है।
वो बचपन की यादें फिर याद आयी…

नैनों में नैना चहकते ही रहते हैं,
मेहनत में रंग आता ही रहता है
हर जगह हरियाली बढ़ती ही रहती है।
वो बचपन की य़ादे फिर याद आयी…

ज़हाँ पूरा देश शांति ही शांति है,
नेताओं के सर पे खादी की टोपी है
विद्यार्थी का जीवन रोशन होता है।
वो बचपन की यादें फिर याद आयी…॥

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