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शहादत का त्यौहार

काजल सिन्हा 
इन्दौर(मध्यप्रदेश)
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कारगिल विजय दिवस स्पर्धा विशेष……….

जब माँ की आँखें सजल हों,
नौनिहालों की वाणी में जोश हो
धुँए का रंग केसरिया हो, और
मिट्टी का कण-कण निहाल हो-
तो समझना ये त्यौहार है।
शहादत का त्यौहार है…

जब जन-गण-मन की सुरीली तान हो,
वीरांगनाओं के सर पे सफेद ओढ़नी की शान हो
नीले आकाश के नीचे जब तिरंगे की आन हो,
तो समझना ये त्यौहार है।
शहादत का त्यौहार है…।

जब हर ओर गगन भेदी जयकार हो,
देशवासियों की सलामी मुरवर हो
बयारें जोशीली और,
संगीनों की धार चमकीली हों,
तो समझना ये त्यौहार है।
शहादत का त्यौहार है…।।

परिचय-दुमका(झारखंड) में २० जनवरी १९७२ को जन्मीं काजल सिन्हा समाजसेविका होने के साथ बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैl बचपन से ही पढ़ाई और कविता लेखन में विशेष रुचि रखती हैं। आपको बिहार मंडल की प्रावीण्य सूची में कक्षा दसवीं से ही छात्रवृत्ति मिलने लगी थी,जो स्नातक तक मंडल ने दी। आपकी शिक्षा भौतिक शास्त्र में स्नातक है। आपने स्नातक के द्वितीय वर्ष में स्वर्ण पदक प्राप्त किया था। कविता रचने में विशेष रुचि के लिए आपको नेशनल कायस्थ एक्शन कमेटी द्वारा सम्मानित किया गया है। मन के भावों को कविता से पाठकों तक पहुंचाने में माहिर श्रीमती काजल सिन्हा समाज की ज्वलंत समस्याओं पर लघु नाटिकाएं लिखती और अभिनय कर समाज तक अपना संदेश पहुंचाती है। आपका निवास इंदौर (मध्यप्रदेश) में हैl सामजिक गतिविधि के अंतर्गत आप महिलाओं के समूह की सक्रिय सदस्य होकर दरिद्र नारायण की सेवा भी करती हैं। आपकी कविता अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैl

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