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पाकी का सीना फाड़ दिया

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’
रावतसर(राजस्थान) 
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कारगिल विजय दिवस स्पर्धा विशेष……….

भारत के वीर जवानों ने पर्वत पर झंडा गाड़ दिया,

विजय कारगिल पर करके पाकी का सीना फाड़ दियाl

बर्फीली चोटी पर रहकर देश की रक्षा करते थे,
बदन भले सड़ जाये,पर परवाह नहीं वो करते थेl

पर लातों का भूत बात से कहाँ मानने वाला है,
पता नहीं था अब शेरों से पड़ने वाला पाला हैl

अपने हाथों से अपनी ही कब्र खोदने आया है,
बेचारे निर्दोष सैनिकों को मरवाने लाया हैl

पाकिस्तानी सेना ने चुपके से हमला बोल दिया,
अपने वीर जवानों ने भी तोपों का मुँह खोल दियाl

उन पाकी गद्दारों ने जब कर दी गोली की बौछार,
तब भारत की तोपों ने भी दिये सैंकड़ों सैनिक मारl

धन्य भारती के बेटे कुर्बान वतन बलिवेदी पर,
आँच नहीं आने दी जीते-जी भारत की धरती परl

पाकिस्तानी कुत्ते थे वो,भूल से हमला कर बैठे,
अपना गोश्त खिलाने को शेरों को न्योता दे बैठेl

त्राहि-त्राही मच गई हर तरफ भागो-भागो शोर हुआ,
उनके सीने चढ़े बांकुरे और युद्ध घनघोर हुआl

भारत के लाल बहुत से खेत गये थे इस रण में,
गोलों की बौछारों से ले लिया बदला इक क्षण मेंl

रण तो जीता वीरों ने,पर कितने वीर शहीद हुए,
याद करेंगे भारतवासी लिए वतन के प्राण दिएl

स्वर्णाक्षरों में नाम लिखा जायेगा इन रणधीरों का,
देकर जान बचाई इज्जत भारत के उन वीरों काl

वीर शहीदों की यादों में श्रद्धा सुमन चढ़ाते हैं,
आँखों में आँसू हैं फिर भी गीत विजय के गाते हैंl

वंदे मातरम्-वंदे मातरम् यही हमारा नारा है,
बुरी नजर ना डाले कोई,हिन्दुस्तान हमारा हैll

 

परिचय-शंकरलाल जांगिड़ का लेखन क्षेत्र में उपनाम-शंकर दादाजी है। आपकी जन्मतिथि-२६ फरवरी १९४३ एवं जन्म स्थान-फतेहपुर शेखावटी (सीकर,राजस्थान) है। वर्तमान में रावतसर (जिला हनुमानगढ़)में बसेरा है,जो स्थाई पता है। आपकी शिक्षा सिद्धांत सरोज,सिद्धांत रत्न,संस्कृत प्रवेशिका(जिसमें १० वीं का पाठ्यक्रम था)है। शंकर दादाजी की २ किताबों में १०-१५ रचनाएँ छपी हैं। इनका कार्यक्षेत्र कलकत्ता में नौकरी थी,अब सेवानिवृत्त हैं। श्री जांगिड़ की लेखन विधा कविता, गीत, ग़ज़ल,छंद,दोहे आदि है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-लेखन का शौक है।

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