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शक्ति का अवतार है नारी

राजबाला शर्मा ‘दीप’
अजमेर(राजस्थान)
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अस्तित्व बनाम नारी (अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस विशेष)….

नारी है नारायणी, शक्ति का अवतार है,
ऋषि-मुनि कहते हैं-ईश्वर का उपहार है।

नारी का अस्तित्व धरा सम दया, शील, क्षमा, समर्पण,
गंगा-सी निर्मल निश्छल है,
समझे कोई न उसको कम।
वह सीता है सावित्री, जग की पालनहार है।
ऋषि-मुनि कहते हैं…-

खुशियों की चाबी है नारी, पुरूषों पर भी है वह भारी।
जीवन की प्यारी फुलवारी,
कभी नहीं वह हिम्मत हारी।
ज्योति-पुंज बन करती, घर-घर में उजियार है।
ऋषि-मुनि कहते हैं…-

रिश्तों के दलदल में दबती,
फिर भी रहती हरदम हँसती,
लिए बंद पिंजरे में ख्वाहिश,
खामोशी से हर गम सहती।
सीखा है उसने उड़ना, उड़ेगी पंख पसार है।
ऋषि-मुनि कहते हैं…-
ईश्वर का उपहार है॥

परिचय– राजबाला शर्मा का साहित्यिक उपनाम-दीप है। १४ सितम्बर १९५२ को भरतपुर (राज.)में जन्मीं राजबाला शर्मा का वर्तमान बसेरा अजमेर (राजस्थान)में है। स्थाई रुप से अजमेर निवासी दीप को भाषा ज्ञान-हिंदी एवं बृज का है। कार्यक्षेत्र-गृहिणी का है। इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी, गज़ल है। माँ और इंतजार-साझा पुस्तक आपके खाते में है। लेखनी का उद्देश्य-जन जागरण तथा आत्मसंतुष्टि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-शरदचंद्र, प्रेमचंद्र और नागार्जुन हैं। आपके लिए प्रेरणा पुंज-विवेकानंद जी हैं। सबके लिए संदेश-‘सत्यमेव जयते’ का है।