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शिक्षक की महिमा अपरम्पार

उमेशचन्द यादव
बलिया (उत्तरप्रदेश) 
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शिक्षक:मेरी ज़िंदगी के रंग’ स्पर्धा विशेष…..

मानव से मनुष्य बनाते हैं,
हरदम सर्वस्व लुटाते हैं
शिक्षक अपने सुकर्मों से,
शिष्यों को खूब चमकाते हैं,
बने भविष्य छात्रों का अपने
गला फाड़ चिल्लाते हैं,
कहे ‘उमेश’ शिक्षक की महिमा,
शिक्षक ही बतलाते हैं।

पावे ज्ञान जो आवे द्वार,
ज्ञान की है जहाँ भरमार
अपना जीवन वारे शिष्यों पर,
प्रश्नोत्तर की करें बौछार
नैतिकता की बात बताते,
योग कराते बारम्बार
अच्छी बात सुनाते हरदम,
शिक्षक की महिमा अपरम्पार।

सीधा-सादा जीवन था मेरा,
शिक्षक ने किया उसे सतरंग
इंटर में चौबे और यादव पारस जी ने,
नरहेजी का चढ़ाया रंग
बी.ए. में जब गया मैं पढ़ने,
भूगोल में तिवारी जी आये संग
कृष्ण मोहन गुरु काव्य पढ़ाए,
हिंदी का मुझ पर चढ़ गया रंग।

बी.एड. किया हरियाणा में जाकर,
बहुत खुश हुआ गुरुओं को पाकर
विरेन्द्र गुरु ने शिष्य बनाकर,
योग्य बनाया सद्ज्ञान सिखाकर
गुरुवर रमेश कक्षा में आकर,
दिल जीते सद्भाव दिखाकर
भावना मैडम ने हमें पढ़ाकर,
मान बढ़ाया ज्ञान सिखाकर।

शारदा जी ने हमें सिखाया,
शिक्षक के पास ज्ञान भंडार
धन्यवाद उन सब गुरु जन का,
नमन करुँ मैं बारम्बार
कहे ‘उमेश’ शिक्षक की सुन लो,
नैया गुरु लगाएं पार।
मैंने लिखा बहुत ही कम है,
गुरु की महिमा अपरम्पार॥

परिचय–उमेशचन्द यादव की जन्मतिथि २ अगस्त १९८५ और जन्म स्थान चकरा कोल्हुवाँ(वीरपुरा)जिला बलिया है। उत्तर प्रदेश राज्य के निवासी श्री यादव की शैक्षिक योग्यता एम.ए. एवं बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण है। आप कविता,लेख एवं कहानी लेखन करते हैं। लेखन का उद्देश्य-सामाजिक जागरूकता फैलाना,हिंदी भाषा का विकास और प्रचार-प्रसार करना है।

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