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शिक्षक: रंग मेरी जिंदगी के

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’
बूंदी (राजस्थान)
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शिक्षक:मेरी ज़िंदगी के रंग’ स्पर्धा विशेष…..

आज भी याद है,
वो हमारा छोटा-सा छुटपन…
वो माँ (प्रथम गुरु )का हमारे प्रति प्रेम अर्पण।

आज भी याद है,
वो प्यार भरी जादू की झप्पी…
वो कितनी ही बार खुश होकर पप्पी।

आज भी याद है,
वो सभी सम्मानीयजन को नमस्कार…
और देना इससे भी अच्छे-अच्छे संस्कार।

आज भी याद है,
वो सिखाना हाथ पकड़कर ‘अ’ से अनार…
उस पर भी गुरूजी का छलकता अथाह प्यार।

आज भी याद है,
वो कक्षा में हमारा न जाने क्यों मचलना…
उस पर भी गुरूजी का मन्द-मन्द हँसना।

आज भी याद है,
वो हमारा लल्लुवा लड़कपन…
वो गुरूजी का बढ़-बढ़ कर बड़प्पन।

आज भी याद है,
वो गुड वर्क पर गुरूजी की शाबाशी…
वो हर सटीक बात को कहने की बेबाकी।

आज भी याद है,
वो उछलता-कूदता अल्हड़पन हमारा…
उस पर भी गिरते को गुरु जी का सहारा।

आज भी याद है,
वो डांट भी जिनकी लगती थी प्यारी-प्यारी…
उसमें ज्ञान की ही तो बातें थी सारी।

आज भी याद है,
वो हद से ज्यादा हमारी फिरका-परस्ती…
वो उनकी अडिग कर्तव्यपथ की मस्ती।

आज भी याद है,
वो शिक्षण के प्रति मस्त रुझान उनका…
वो समझ-असमझ का अधूरा खेल हमका।

आज भी याद है,
वो डण्डे भी पड़ते कितने ही छोटे-नरम हाथों पर…
फिर भी निगाह नीची और जम जाना अपने पैरों पर।

आज भी याद है,
वो गुरु जी का रहता कुछ डर,मन पर कुछ हम पर…
फिर भी जमे रहना स्कूल दिन-दिनभर।

आज भी याद है,
वो टेस्टों में भी आते अंक कम,और कम…
फिर भी गुरु जी का देना जी खोल कर प्रोत्साहन।

आज भी याद है,
वो मोटी-मोटी अथाह ज्ञान की किताबें…
फिर भी रात-रात जाग कर,उनको रटने की चाहें।

आज भी याद है,
वो आना हर वर्ष की भांति फिर ‘शिक्षक दिवस’…
वो गुरु जी को हर बार सम्मान देने की ललक।

आज भी याद है,
जब हम भी,न जाने कैसे..? पहुँचे इस पद पर…
वो बच्चों का दिल खोल कर स्नेह हम पर।

आज भी याद है,
लो फिर आज भी आया है दिवस वो ही…।
करें नमन,अर्चन,पूजन उनका हम भी
दिन यह आता भी तो वर्ष भर बाद है॥

परिचय–आप लेखन क्षेत्र में डी.कुमार’अजस्र’ के नाम से पहचाने जाते हैं। दुर्गेश कुमार मेघवाल की जन्मतिथि-१७ मई १९७७ तथा जन्म स्थान-बूंदी (राजस्थान) है। आप राजस्थान के बूंदी शहर में इंद्रा कॉलोनी में बसे हुए हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर तक शिक्षा लेने के बाद शिक्षा को कार्यक्षेत्र बना रखा है। सामाजिक क्षेत्र में आप शिक्षक के रुप में जागरूकता फैलाते हैं। लेखन विधा-काव्य और आलेख है,और इसके ज़रिए ही सामाजिक मीडिया पर सक्रिय हैं।आपके लेखन का उद्देश्य-नागरी लिपि की सेवा,मन की सन्तुष्टि,यश प्राप्ति और हो सके तो अर्थ प्राप्ति भी है। २०१८ में श्री मेघवाल की रचना का प्रकाशन साझा काव्य संग्रह में हुआ है। आपकी लेखनी को बाबू बालमुकुंद गुप्त साहित्य सेवा सम्मान-२०१७ सहित अन्य से सम्मानित किया गया है|

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