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शिक्षक सॅ॑वारते ज़िन्दगी

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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शिक्षक:मेरी ज़िंदगी के रंग’ स्पर्धा विशेष…..

शिक्षक(श्रेष्ठ गुरु)की शिक्षा ही जीवन को सँवारती है़। जब तक इंसान शिक्षक की शरण में नहीं जाता है,तब तक वो ज्ञानहीन ही रहता है। शिक्षक की शरण में जाने से,उनकी आज्ञा पालन करने से, मनुष्य के जीवन का रंग ही बदल जाता है,और इंसान हर तरह का सुखमय जीवन व्यतीत करने में सक्षम हो जाता है।
शिक्षक ही ऐसा ज्ञान है,जो मनुष्य के अन्दर सम्पूर्ण समाहित हो जाता है। वह मनुष्य धर्म,कर्म,सेवा की भावना सदा के लिए अपना लेता है। इस बदलाव के बाद वह गलत काम नहीं करता है। शिक्षक से ही ज्ञान पाकर कई लोग साधु-सन्त बने,बड़े तपस्वी बने। हर इंसान के जीवन में शिक्षक का ज्ञान बहुत महत्वपूर्ण है।
मानो शिक्षक जीवन का रंग बदल देते हैं,जीने का अन्दाज बदल देते हैं। गुरु के ज्ञान बिना मनुष्य पशु के समान है।
गुरु पिता के तुल्य हैं। जैसे पिता पाल-पोस कर बड़ा करते हैं,वैसे ही गुरु भी ज्ञान रुपी सौंदर्य भरकर मनुष्य को सही राह पर चलना सिखाते हैं। गुरु के ज्ञान बिना मनुष्य का जीवन अन्धकार है।

परिचय-श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।

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