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संवत बदल गया…

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’
बूंदी (राजस्थान)
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लो सूरज फिर ढल गया…
पंचांग का पृष्ठ भी, आज से बदल गया,
संवत भी साल भर चल, अब चल दिया।

अच्छा गुजरा बुरा गुजरा, वो तो गुजर गया
कुछ छूटा ,कुछ मिला, मिला जो मिल गया।

कुछ चिंता, कुछ हँसी को लाया,
छोड़ स्मृतियाँ, गहरी कुछ उथली, मन पटल पर, अब चल दिया।

कुछ बदला, सम्भला, पर लगे है, ये दिल नया।
वक्त है यह फिर भी, आगे ही आगे बढ़ने का।

दिन ढल गया, संवत बदल गया, फिर भी, अभी नहीं है रुकने का….
आगे से आगे बढ़ने का, नए पंचांग बदलने का।

रोशनी की किरण कल, फिर से होगी नई,
काली अंधियारी रात गुजर,
अब होगी, कल सुबह अधिक नई।

दिन, माह, वर्ष यूँ ही, बदलते रहेंगे निरन्तर,
मन अंधकार को मिटा, अब बदलना है अभ्यन्तर।

चलना है नव अर्श पर, नव वर्ष की प्रभात में,
नए भविष्य की छवि दिखे,
सुबह की नई शुरूआत में।

बनें प्रखर भविष्य, नवसंवत की परिभाषाओं में,
‘अजस्र’ शुभकामनाएं, सब मित्रों, सभी अपनों को, मेरी नवल आशाओं में॥

परिचय–आप लेखन क्षेत्र में डी.कुमार’अजस्र’ के नाम से पहचाने जाते हैं। दुर्गेश कुमार मेघवाल की जन्मतिथि-१७ मई १९७७ तथा जन्म स्थान-बूंदी (राजस्थान) है। आप राजस्थान के बूंदी शहर में इंद्रा कॉलोनी में बसे हुए हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर तक शिक्षा लेने के बाद शिक्षा को कार्यक्षेत्र बना रखा है। सामाजिक क्षेत्र में आप शिक्षक के रुप में जागरूकता फैलाते हैं। लेखन विधा-काव्य और आलेख है,और इसके ज़रिए ही सामाजिक मीडिया पर सक्रिय हैं।आपके लेखन का उद्देश्य-नागरी लिपि की सेवा,मन की सन्तुष्टि,यश प्राप्ति और हो सके तो अर्थ प्राप्ति भी है। २०१८ में श्री मेघवाल की रचना का प्रकाशन साझा काव्य संग्रह में हुआ है। आपकी लेखनी को बाबू बालमुकुंद गुप्त साहित्य सेवा सम्मान-२०१७ सहित अन्य से सम्मानित किया गया है|