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संस्कारों का प्रतिबिम्ब हिंदी

सारिका त्रिपाठी
लखनऊ(उत्तरप्रदेश)
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हिंदी  दिवस स्पर्धा विशेष………………..


हम सब बचपन में शाला जाना शुरू करते हैं और ज्ञान की प्राप्ति करते हैं। शाला में हम कहीं विषय की पढ़ाई करते हैं,जिनमें हिंदी विषय भी एक है,लेकिन दुःख की बात यह है कि आज भी हम हिंदी का इस्तेमाल करने पर शर्म महसूस करते हैं।
प्रत्येक वर्ष १४ सितम्बर को पूरे भारत में ‘हिंदी दिवस’ को मनाया जाता है। हिंदी भाषा हमारी राष्ट्रीय भाषा है,जिसका सम्मान हम सबको करना चाहिए। १४ सितम्बर के दिन हिंदी भाषा के प्रति सम्मान प्रकट करने हेतु हम सब हर वर्ष इस दिन को उत्साह से मनाते हैं।
हिंदी भाषा भारत में बोली जाने वाली मुख्य भाषा है। जैसा कि हम सबको पता है,भारत में कई भाषाएं बोली जाती है। जिस वजह से यह संभव नहीं है कि,हम हर एक भाषा को सीख सकें,और इसी कारण हिंदी भाषा को पूरे देश में सिखाया और बोला जाता है। हिंदी भाषा हमारे देश की संस्कृति और संस्कारों का प्रतिबिंब है। भारत देश में अधिकतम लोगों को हिंदी भाषा आती है। इसी कारण १४ सितम्बर १९४९ को भारतीय संविधान में हिंदी को राष्ट्र भाषा के रूप में स्वीकार किया गया था। हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी से ही हमें संस्कृति का ज्ञान होता है। हिंदी यह विश्व की प्राचीन और समृद्ध भाषा है।
हिंदी भाषा काफी सरल और किसी को भी बोलने और समझने में आसान होती है। हिंदी भाषा हमारे पूरे भारत को एक बनाए रखती है। हिंदी दिवस को मनाना हमारी राष्ट्रभाषा के साथ ही हमारी संस्कृति के महत्व पर जोर देने के लिए एक महान कदम है।
यह हिंदी दिवस हमारे संस्कृति से हमें बांधे रखता है। हिंदी दिवस हमारे मूल्यों से हमें बांधे रखता है। जब हम हिंदी दिवस को हर साल मनाते हैं तो इस दिन हम जातिवाद और अपनी मातृभाषा को भूल कर खुद को एक भारतीय होने का एहसास दिलाते हैं।
हिंदी भाषा हर साल १४ सितम्बर को हमें हमारी वास्तविक पहचान की याद दिलाती है,जो एक भारतीय नागरिक होने की पहचान है। आज वर्तमान में जब अंग्रेजी भाषा को पूरे विश्व में अपनाया गया है,तो अंग्रेजी भाषा का महत्व काफी बढ़ गया है,लेकिन इस वजह से हम हमारी मातृभाषा को भुला नहीं सकते। आज हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब भी किसी और देश में जाते हैं तो वह वहां पर सिर्फ हिंदी भाषा का ही प्रयोग करते हैं। इस बात से हमें हमारे देश और हमारी हिंदी भाषा पर गर्व करना चाहिए। दोस्तों हमारी हिंदी भाषा को सीखने के लिए दूर देशों से भी लोग आते हैं। हमारे भारत में हिंदी विश्वविद्यालय बनाए गए हैं,जहां कोई भी हिंदी भाषा को सीख सकता है।
हाँ,हम सब हिंदी में बात तो करते हैं,पर कई बार हमारी बातों में अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग होता है। आज भी कहीं लोग समझते हैं कि जो अंग्रेजी में बात करता है,वह हिंदी में बात करने वाले से ज्यादा होशियार और अधिक प्रभावशाली होता है,किन्तु ऐसा नहीं है अंग्रेजी भी एक भाषा है जिसे हिंदी भाषा की तरह ही सीखा जा सकता है। इससे किसी व्यक्ति के कम और ज्यादा होशियार और प्रभावशाली होने का कोई लेना-देना नहीं है। फिर भी लोगों को अंग्रेजी भाषा में बात करने में अधिक गर्व महसूस होता है,और इसी वजह से हिंदी के कई शब्द प्रचलन से हट रहे हैं। जैसे आपमें से कई लोगों को ‘प्रचलन’ का मतलब नहीं पता होगा। यही कारण है कि हम हमारी मातृभाषा को भूलते जा रहे हैं। हम सबको ऐसा हरगिज़ नहीं होने देना चाहिए। हम सबको हिंदी भाषा के विकास के लिए एकजुट होकर प्रयास करना चाहिए। १४ सितम्बर के दिन हिंदी भाषा के प्रति सम्मान प्रकट करने हेतु हम सब हर वर्ष इस दिन को उत्साह से मनाते हैं। हिंदी भाषा भारत में बोली जाने वाली मुख्य भाषा है। जैसा कि हम सबको पता है,भारत में कई भाषाएं बोली जाती है। जिस वजह से यह संभव नहीं है कि हम हर एक भाषा को सीख सकें। और इसी कारण १४ सितम्बर १९४९ को भारतीय संविधान में हिंदी को राष्ट्र भाषा के रूप में स्वीकार किया गया था। हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी से ही हमें संस्कृति का ज्ञान होता है। हिंदी यह विश्व की प्राचीन और समृद्ध भाषा है।
यह हिंदी दिवस हमारे संस्कृति से हमें बांधे रखता है। हिंदी दिवस हमारे मूल्यों से हमें बांधे रखता है। जब हम हिंदी दिवस को हर साल मनाते हैं तो इस दिन हम जातिवाद और अपनी मातृभाषा को भूल कर खुद को एक भारतीय होने का एहसास दिलाते हैं।
हिंदी भाषा हर साल १४ सितम्बर को हमें हमारी वास्तविक पहचान की याद दिलाती है,जो एक भारतीय नागरिक होने की पहचान है। इसके लिए हम हिंदी भाषा का प्रयोग ज्यादा करते हुए अपने बच्चों को हिंदी भाषा की सही शिक्षा देनी चाहिए। जब पूरे भारत में सभी हिंदी भाषा को बोल सकेंगे,तभी हम अपनी हिंदी भाषा का सही अर्थ में सम्मान करेंगे।
भारत में १४ सितम्बर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। हिंदी भारत देश की राष्ट्रभाषा है,और १४ सितम्बर को इसे आधिकारिक रूप से भारत की राष्ट्रभाषा घोषित किया गया था। हिंदी भाषा के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए पूरे देश में हर साल तरह तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
भारत देश को २०० साल की गुलामी से आजादी मिलने के बाद जब देश का संविधान निर्माण किया जा रहा था,तो संविधान निर्माताओं का मानना था कि हिंदी भाषा में ही वह ताकत है,जिसकी मदद से जम्मू कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक संवाद स्थापित किया जा सकता है। यही कारण था कि हिंदी भाषा को देश की राष्ट्रभाषा के रूप में अपनाया गया। हिंदी भाषा को देवनागरी लिपि में लिखा जाता है। आज हिंदी भाषा को जो हमारी राष्ट्रभाषा है,उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बहुत पसंद क्या जाता है।
इसका कारण यह भी है कि,हमारी भाषा हमारे देश की संस्कृति और संस्कारों का प्रतिबिंब है। आज पूरे विश्व के लोग हमारी भाषा हिंदी को सीखने और हमारे संस्कृति को जानने के लिए हमारे देश में आ रहे हैं।
मेरे ख्याल से हर भारतीयों को हमारी हिंदी भाषा आनी चाहिए। हम सबको हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी का सम्मान ठीक वैसे ही करना चाहिए,जैसे हम अंग्रेजी बोलते वक्त गर्व महसूस करते हैं।
आज के इस भारत में हिंदी बोलने वाले से ज्यादा मान अंग्रेजी बोलने वाले को दिया जाता है,जो सही बात नहीं है। हमें अपने राष्ट्रभाषा पर गर्व करना चाहिए। भारत को आजादी तो मिली,लेकिन अंग्रेज उनकी भाषा हमारे देश में छोड़ गए।
हाँ,यह सही है कि आज अंग्रेजी को पूरे विश्व में इस्तेमाल किया जाता है,पर इसका मतलब यह नहीं कि,अंग्रेजी बोलने वाला सर्वश्रेष्ठ है। हमें अपने हिंदी भाषा का सम्मान करना चाहिए तभी तो लोग हमारी भाषा का सम्मान करेंगे।
हिंदी दिवस को इसलिए भी मनाया जाता है,ताकि गुम हो रही हिंदी भाषा को बचाने का प्रयास किया जा सके। हमारी हिंदी भाषा भारत की राष्ट्रभाषा ही नहीं,बल्कि हमारे देश की एकता की प्रतीक है और यह हमारी भारतीय होने की पहचान भी है।
इसलिए,हमें ज्यादा से ज्यादा हिंदी भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए और हर साल कम से कम १४ सितम्बर को हमारी हिंदी भाषा का महत्व और उसके बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों तक जानकारी पहुंचाना चाहिए। इसके लिए हम हिंदी भाषा का प्रयोग ज्यादा करते हुए अपने बच्चों को हिंदी भाषा की सही शिक्षा देनी चाहिए। जब १४ सितम्बर भारत में सभी हिंदी भाषा को बोल सकेंगे,तभी हम अपनी हिंदी भाषा का सही अर्थ में सम्मान करेंगे।

परिचय-सारिका त्रिपाठी का निवास उत्तर प्रदेश राज्य के नवाबी शहर लखनऊ में है। यही स्थाई निवास है। इनकी शिक्षा रसायन शास्त्र में स्नातक है। जन्मतिथि १९ नवम्बर और जन्म स्थान-धनबाद है। आपका कार्यक्षेत्र- रेडियो जॉकी का है। यह पटकथा लिखती हैं तो रेडियो जॉकी का दायित्व भी निभा रही हैं। सामाजिक गतिविधि के तहत आप झुग्गी बस्ती में बच्चों को पढ़ाती हैं। आपके लेखों का प्रकाशन अखबार में हुआ है। लेखनी का उद्देश्य- हिन्दी भाषा अच्छी लगना और भावनाओं को शब्दों का रूप देना अच्छा लगता है। कलम से सामाजिक बदलाव लाना भी आपकी कोशिश है। भाषा ज्ञान में हिन्दी,अंग्रेजी, बंगला और भोजपुरी है। सारिका जी की रुचि-संगीत एवं रचनाएँ लिखना है।