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हिन्दी का रसपान

कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’
इन्दौर मध्यप्रदेश)
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हिंदी  दिवस स्पर्धा विशेष………………..


आज हमारी भाषा का हम
उतना ही सम्मान करें,
सदियों से पाती जो माता
उतना ही गुणगान करें।
वो ही अपनी भाषा है जो
लोरी गाकर जी बहलाती,
मन के सारे अहम भाव को
फिर दूर वही कर जाती है।
अधर हमारे जब भी मिलते
खुशबू सौंधी आती है,
भाषाओं का सारा ज्ञान
हिन्दी ही समझाती है।
बचपन और बुढा़पे में ज्यों
यौवन घुल-मिल जाता है,
उसी तरह हिन्दी मेरी भी
चिर जीवन पा जाती है।
आओ हिन्दी की गाथा में
जी भर कर मुस्कान भरें,
जन-जन के होंठों पर हम भी
हिन्दी का रसपान करें।
आज हमारी भाषा का हम,
उतना ही सम्मान करें…॥

परिचय–कार्तिकेय त्रिपाठी का उपनाम ‘राम’ है। जन्म ११ नवम्बर १९६५ का है। कार्तिकेय त्रिपाठी इंदौर(म.प्र.) स्थित गांधीनगर में बसे हुए हैं। पेशे से शासकीय विद्यालय में शिक्षक पद पर कार्यरत श्री त्रिपाठी की शिक्षा एम.काम. व बी.एड. है। आपके लेखन की यात्रा १९९० से ‘पत्र सम्पादक के नाम’ से शुरु हुई और अनवरत जारी है। आप कई पत्र-पत्रिकाओं में काव्य लेखन,खेल लेख,व्यंग्य और फिल्म सहित लघुकथा लिखते रहे हैं। लगभग २०० पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। आकाशवाणी पर भी आपकी कविताओं का प्रसारण हो चुका है,तो काव्यसंग्रह-‘ मुस्कानों के रंग’ एवं २ साझा काव्यसंग्रह-काव्य रंग(२०१८) आदि भी प्रकाशित हुए हैं। काव्य गोष्ठियों में सहभागिता करते रहने वाले राम को एक संस्था द्वारा इनकी रचना-‘रामभरोसे और तोप का लाईसेंस’ पर सर्वाधिक लोकप्रिय कविता का पुरस्कार दिया गया है। साथ ही २०१८ में कई रचनाओं पर काव्य संदेश सम्मान सहित अन्य पुरस्कार-सम्मान भी मिले हैं। इनकी लेखनी का उदेश्य सतत साहित्य साधना, मां भारती और मातृभाषा हिंदी की सेवा करना है।

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