कुल पृष्ठ दर्शन : 334

You are currently viewing मुसाफिरखाना है जहाँ

मुसाफिरखाना है जहाँ

हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
************************************

हर एक किरदार यहाँ किराएदार है,
मालिक तो बस एक है
गमों को लिए हम चल रहे हैं,
मुसाफिर हम ही नहीं
सारा जहां मुसाफिरखाना है।

रोशनी की चाह किसे नहीं है,
पर हम तो अंधेरे में ही जी रहे हैं
तकदीर भी कैसी है,
लाख छुपाएं हम गमों को
पर वह उजागर हो जाता है,
दुखों का यह समन्दर ना जाने
क्यों ?
बार-बार आ जाता है।

दर्द में भी हम मुसाफिर मुस्कुराते रहे हैं,
गमों के साए में हम तो राही आगे बढ़े जा रहे हैं
इस जहां में कौन ऐसा है, जिसे गम नहीं है
हम तो इतने से ही घबरा रहे हैं।

गमों को लिए हम चल रहे हैं,
मुसाफिर हम ही नहीं
सारा जहां मुसाफिरखाना है…॥