कुल पृष्ठ दर्शन : 442

You are currently viewing सकारात्मक सोच के साथ मनाया ‘विश्व हिंदी दिवस’

सकारात्मक सोच के साथ मनाया ‘विश्व हिंदी दिवस’

संगोष्ठी…

पटना (बिहार)।

हम हिंदी की बात करते हैं, पर हिंदी में नहीं करते। हम हिंदी का विकल्प अंग्रेजी में ढूंढते हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने वर्ष १९३६ में भारत के राज्यों में हिंदी के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से अपनी कर्मस्थली वर्धा में राष्ट्रभाषा प्रचार समिति की स्थापना की थी। उनके ही मूल प्रस्ताव पर २००६ से पूरी दुनिया में ‘विश्व हिंदी दिवस’ मनाया जा रहा है।
यह बात ‘विश्व हिंदी दिवस’ पर संगोष्ठी का विषय प्रवर्तन करते हुए जगदंबी प्रसाद यादव स्मृति संस्थान के अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार यादव ने कही। हिंदी के गंभीर पक्षधर श्री यादव ने संस्थान और अंतरराष्ट्रीय हिंदी परिषद के तत्वावधान में इस आयोजन का शुभारंभ पूर्वी गांधी मैदान स्थित महेश भवन में किया। कार्यक्रम में विधान पार्षद समीर कुमार सिंह मुख्य अतिथि तथा वरिष्ठ साहित्यकार और पूर्व प्रशासनिक अधिकारी जियालाल आर्य, गोरे लाल यादव, संपादक डॉ. शिवनारायण, ‘विश्व हिंदी दिवस’ के प्रस्तावक श्री यादव, महासचिव डॉ. अंशु माला, गायिका नीतू नवगीत, बिहार राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी दिलीप कुमार आदि ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
नीतू नवगीत ने ‘हिंदी है भारत की बोली तो अपने आप पनपने दो!’ की प्रस्तुति दी।

इस संगोष्ठी के बाद काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसका संचालन कलानेत्री पल्लवी विश्वास ने किया। गोष्ठी में डॉ. कासिम खुर्शीद, शहंशाह आलम, दिलीप कुमार, सिद्धेश्वर, डॉ. आरती कुमारी व डॉ. नीलिमा सिंह आदि ने सारगर्भित कविताओं से वातावरण को हिंदीमय बना दिया। धन्यवाद ज्ञापन दिलीप कुमार ने दिया।

Leave a Reply