कुल पृष्ठ दर्शन : 212

You are currently viewing सत्यमेव जयते पथ चलना

सत्यमेव जयते पथ चलना

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
*******************************************

सत्यमेव जयते पथ चलना, कभी न फिर तुम आँखें मलना।
जीवन में अच्छाई वरना, हर दुर्गुण को नित ही हरना॥

सत्यमेव जयते हो रहना, नेह-नीर होकर तुम झरना।
हरदम ही बनना उजियारा, करना दूर सकल अँधियारा॥

सत्यमेव जयते तुम कहना, मानवता का पथ ही वरना।
सबकी सेवा में जुट जाना, जीवन अपना धन्य बनाना॥

सच्चाई से जीवन बनता, दुर्गुण तो खुशियों को हनता।
सत्यमेव जयते मन रखना, कभी नहीं कड़वे फल चखना॥

सत्यमेव जयते सुख बोता, सच्चा जन बिलकुल नहिं रोता।
गिरे हुए तुम कर्म न करना, बस अच्छाई को ही वरना॥

सत्यमेव जयते में रहना, गंगाजल बनकर के बहना॥
पापों को बिलकुल तज देना, सद्कर्मों को तुम गह लेना॥

सत्यमेव जयते हाली हो, उपवन महकें, खुश माली हो।
सद्चरित्र से सद्गति होती, मानवता किंचित नहिं रोती॥

सत्यमेव जयते हितकारी, फूलों- सा होता हितकारी।
चाल-चलन सब अभी सुधारो, जीवन को तुम अभी बुहारो॥

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

Leave a Reply