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समय का सदुपयोग करें

डॉ.अरविन्द जैन
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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‘समय का सदुपयोग’ नामक इस शब्द से तात्पर्य है-समय की महत्ता को समझते हुए अपने जीवन के हर क्षेत्र में समय का कुशलता पूर्वक प्रयोग करना।
समय एक ऐसी चीज है,जो किसी भी स्थिति में अपने निरंतरता में बाध्यता नहीं आने देती है। यह हर पल चलती ही रहती है। हम मानव के जीवन में इसका सबसे अधिक महत्व है,क्योंकि सफलता और असफलता इसी पर निर्भर करती है। सदियों से हमारे जीवन में ऐसा होता आया है कि,अगर सही समय पर हम किसी भी काम को सही ढंग से करते हैं तो हमें निश्चित रूप से सफलता हासिल होती है,परंतु उसी काम को सही ढंग से करने के बावजूद भी अगर उसे सही समय पर नहीं करते हैं तो असफल होना निश्चित-सा हो जाता है।
समय हमारे जीवन का वह बहुमूल्य तथ्य है, जिसे एक बार खो देने के बाद पुनः हासिल नहीं किया जा सकता है। इसे एक बार खो देने के बाद इस जीवन में पुनः प्राप्त करना असंभव है। हमारे जन्म से लेकर मृत्यु तक ‘समय (टाइम)’ नामक यह शब्द हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा होता है। अपने जीवन में समय का कुशलतापूर्वक उपयोग करना ही समय का सदुपयोग कहलाता है।
इसकी अमूल्यता का अनुमान हम इन बातों से भी लगा सकते हैं कि,हर सफलतम आदमी से अगर उसकी सफलता का मूल मंत्र पूछा जाता है तो, उनकी सभी बातों के अलावा एक बात ‘समय को पहचानना’ निश्चित जुड़ा होता है।

जिस प्रकार दूध से दही बना देने के बाद उसे पुनः दूध के रूप में प्राप्त नहीं किया जा सकता है,उसी प्रकार जो क्षण बीत जाता है, उसे पुनः प्राप्त करना संभव नहीं है।
हर मनुष्य के जीवन में एक सीमित समय होता है,और जब इसका अंत हो जाता है,तो जीवन का भी अंत हो जाता है। समय वह रत्न है,जिसका सही ढंग से उपयोग करने पर गरीब भी अमीर बन जाता है और गलत प्रयोग करने पर अमीर-से-अमीर व्यक्ति भी गरीब हो जाता है। अर्थात जो लोग समय को बर्बाद करते हैं,समय उसे बर्बाद कर देता है। समय की महत्ता और निरंतरता को ध्यान में रखते हुए कविवर कबीरदास जी ने ठीक ही लिखा है-
‘काल करै सो आज कर,आज करै सो अब,
पल में परलै होएगी,बहुरी करौगे कब॥’
अर्थात हमें शीघ्रता से समय रहते अपना काम पूरा कर लेना है। अन्यथा हम मुँह ताकते रह जाएंगे । अतः निश्चित रूप से किसी भी मनुष्य को अपने जीवन के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए समय का सदुपयोग करना अनिवार्य है,क्योंकि एक पल की शिथिलता जीवनभर का पश्चाताप बन जाती है।
आस-पड़ोस में अक्सर लोगों से एक शब्द सुनने को मिलता है-‘क्या करूं,समय नहीं मिलता है ?’ परंतु वास्तविकता तो यह है कि,हम समय के साथ निरंतर चल नहीं पाते हैं,जबकि समय नामक अमूल्य संपदा का भंडार हमेशा हमारे पास होता है। जब हम इस मूल्यवान संपदा को बिना सोचे-समझे खर्च कर देते हैं,तब हमें इसकी महत्ता समझ में आती है। इसलिए तो विद्वानों ने भी कहा है कि समय रहते हमें समय की महत्ता को समझ लेनी चाहिए,तभी हम जीवन में सफल हो पाएंगे।
समय ही एक ऐसी चीज है,जो हमें ऊंचाई की शिखर तक पहुंचा सकती है। इस पर दुनिया की किसी भी चीज का वश नहीं चलता है,क्योंकि इसे न कोई शुरू कर सकता है,न अंत। न कोई खरीद सकता है,न बेच सकता है। कुल मिलाकर कहें तो,समय पूर्ण रूप से स्वतंत्र है। यह एक ऐसा शासक है,जो दुनिया की समस्त संपदा को अपने अनुसार चलाता है। यहां तक कि हमारी प्रकृति भी समय के अनुसार ही चलती है।
अगर हम विद्यार्थी जीवन में समय की महत्ता की बात करें,तो निश्चित रूप से कह सकते हैं कि,समय की अहम भूमिका होती है। हमें हर समय कोई न कोई उदाहरण ऐसा मिलता रहता है,जिसमें हम देखते हैं कि,जो छात्र-छात्रा समय की महत्ता को शुरू में ही समझ जाते हैं और हमेशा चलने को प्रयत्नशील रहते हैं,वे जीवन में हर उस बुलंदी को पा लेते हैं,जिसे पाना चाहते हैं,जबकि जो विद्यार्थी महत्ता को नहीं समझ पाते,वे जीवनभर पछताते रह जाते हैं। अतः आवश्यक है कि, जीवन में आगे बढ़ने के लिए मनुष्य को समय का सदुपयोग करना चाहिए।
समय के सदुपयोग के लिए मनुष्य को अपने प्रतिदिन के कार्य का समय विभाजन कर लेना चाहिए। उसे इस बात को दृष्टि में रख लेना चाहिए कि,उसे किस समय क्या करना है ? जिस मनुष्य का कार्यक्रम सुनिश्चित नहीं होता,उसका अधिकांश समय व्यर्थ में बीत जाता है। जो मनुष्य अपना निश्चित कार्यक्रम बनाकर मानसिक वृत्तियों को एकाग्र करके कार्य करता है,उसे जीवन संग्राम में अवश्य सफलता प्राप्त होती है।
समय विभाजन करते समय ध्यान रखना चाहिए कि,शारीरिक और मानसिक थकावट अधिक ना होने पाए,उसमें मनोरंजन की भी व्यवस्था करनी चाहिए।
समय के सदुपयोग से मनुष्य की व्यक्तिगत उन्नति होती है। देश और समाज की उन्नति में भी हम अपना योगदान दे पाते हैं। मनुष्य को न सिर्फ समाज में,बल्कि जहां भी वह जाता है,उसे सम्मान मिलता है। जिस मनुष्य ने समय की मूल्यता को समझा है, उसे निश्चित रूप से जीवन के हर सुख की प्राप्ति हुई है। इस प्रकार हम कहें तो समय ही हमारे जीवन में होने वाले दु:ख और सुख को तय करता है।
सिरसो ने समय को ‘सत्य का पथ-प्रदर्शक’ माना है, वहीं मैसन का विचार है कि ‘स्वर्ण का प्रत्येक अंश जिस तरह मूल्यवान होता है,उसी प्रकार समय का प्रत्येक अंश मूल्यवान होता है।’
अपने देश और अपनी जाति का उत्थान करना चाहते हैं,तो निश्चित रूप से अपने समय का सदुपयोग करना सीखना चाहिए।

परिचय- डॉ.अरविन्द जैन का जन्म १४ मार्च १९५१ को हुआ है। वर्तमान में आप होशंगाबाद रोड भोपाल में रहते हैं। मध्यप्रदेश के राजाओं वाले शहर भोपाल निवासी डॉ.जैन की शिक्षा बीएएमएस(स्वर्ण पदक ) एम.ए.एम.एस. है। कार्य क्षेत्र में आप सेवानिवृत्त उप संचालक(आयुर्वेद)हैं। सामाजिक गतिविधियों में शाकाहार परिषद् के वर्ष १९८५ से संस्थापक हैं। साथ ही एनआईएमए और हिंदी भवन,हिंदी साहित्य अकादमी सहित कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। आपकी लेखन विधा-उपन्यास, स्तम्भ तथा लेख की है। प्रकाशन में आपके खाते में-आनंद,कही अनकही,चार इमली,चौपाल तथा चतुर्भुज आदि हैं। बतौर पुरस्कार लगभग १२ सम्मान-तुलसी साहित्य अकादमी,श्री अम्बिकाप्रसाद दिव्य,वरिष्ठ साहित्कार,उत्कृष्ट चिकित्सक,पूर्वोत्तर साहित्य अकादमी आदि हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी अभिव्यक्ति द्वारा सामाजिक चेतना लाना और आत्म संतुष्टि है।

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