आचार्य गोपाल जी ‘आजाद अकेला बरबीघा वाले’
शेखपुरा(बिहार)
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कष्टों का अविराम अंधेरा,
देखो अब मिटने वाला है।
बरखा की बूंदों के संग घन,
नूतन खुशियां लाने वाला है।
पीड़ा अब आँसू बनकर बहेगी,
ये सहर ऐसी हवा बहाने वाला है।
धारा का अब सब ताप मिटेगा,
सुहाना सावन फिर आने वाला है।
विहग वृंद मिल मंगल गाएंगे,
जय गीत पपीहा गाने वाला है।
‘आजाद’ अकेला मौन मत बैठो,
वक्त नव्य नव जगाने वाला है॥