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समय

अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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आज राजेश जोशी और रजनीश जैन बड़े दिन बाद कुछ दूसरे दोस्तों के साथ बगीचे में मिले। सब बड़े खुश थे, क्योंकि सबके बीच कम-से-कम २० बरस के घने सम्बन्ध थे।
सब मिले तो हल्की-फुल्की गप-शप के बाद यह बात निकली कि, दोस्ती में एक-दूसरे के लिए किसने क्या किया है। इस पर राजेश बोला कि, “मैंने तुम्हें मकान दिलाने में मदद की थी, बिटिया की शादी में भी सहयोग किया था।”
उत्तर में रजनीश बोला,-“हाँ, जानता हूँ, तुमने हमेशा मदद की है, बड़ा आभारी हूँ तुम्हारा।”
राजेश बोला-“अगर उस वक्त हमारे पास पैसे नहीं होते तो शायद आज तुम्हारे सिर पर छत…।, पर तुमने मेरे लिए क्या किया यार, बताओ तो जरा!”
राजेश की आँखों में आँखें डालकर रजनीश ने जवाब दिया,-“अपना समय और नि:स्वार्थ प्रेम दिया है इतने बरस तुम्हें दोस्त, जो आजकल दुर्लभ है। याद है ना, ज़ब तुम्हें टीबी हुई थी तो भाभी ही छोड़ कर चली गई थी। तब ईश्वर ने शायद मुझे ही साथी बनाकर भेजा था सेवा के लिए…, खैर।”

यह सुनकर राजेश की आँख से एक बूँद बह निकली, क्योंकि यह जिंदगी ही रजनीश के समय की कर्जदार थी।