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समाज का सामयिक चित्रण है ‘गणित का पंडित’

रामप्रसाद राजभर

केरल

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‘गणित का पंडित’ युवा कहानीकार विक्रम सिंह का प्रकाशित नया कहानी संग्रह है। इस संग्रह में उनकी चर्चित कहानियों में से १४ को चयनित किया गया है। १२४ पृष्ठ की इस पुस्तक को लोकोदय प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। यह कहानियाँ आज के समाज व परिवेश का समकालीन दस्तावेज हैं। समाज को विस्तार से जानने-समझने के लिए इन कहानियों को पढ़ा जाना चाहिए। समाज में फैली विकृतियों की व्यापकता को भी इन कहानियों को पढ़कर जाना जा सकता है। कहानियों में कहीं-कहीं इतिहास की सटीक झलक भी दिखाई पड़ती है। संस्कार रूपी कहानी मनोविज्ञान को आधार बनाकर लिखी गई एक और बेहतरीन कहानी है। समाज में अंधविश्वास व उसका परिणाम के साथ-साथ प्रेम भी है पर अंत तक आते-आते कहानी लव जिहाद व नई सरकार पर करारा व्यंग करती है जो सामयिक व सटीक है। आगे की कहानियों में विस्थापन व पुनर्स्थापन की वजह व परेशानियाँ भी हैं तो चिटफंड कंपनियों का पर्दाफाश करती कहानी भी। गाँव व शहर की परेशानियों व विडंबनाओं का सटीक विश्लेषण है तो गाँव और शहर की उपयोगिता को भी बड़े ही सुंदर तरीके से दर्शाया गया है। संग्रह की शीर्षक कहानी के लिए यह कहावत सटीक बैठती है, “पढ़े फारसी बेचे तेल,देखो भाई कर्म के खेल।” सभी कहानियाँ पठनीय हैं,इन्हें जरूर पढ़ा जाना चाहिए। “माँ-बाप जिसके साथ हाथ बांधे,उसके साथ जिंदगी बितानी पड़ती है।” आज भी हमारा समाज कितनी पुरानी सोच रखता है

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