कुल पृष्ठ दर्शन : 207

सवाल

मालती मिश्रा ‘मयंती’
दिल्ली
********************************************************************
ये दिल मेरा कितना खाली है
पर इसमें सवाल बेहिसाब हैं,
मैं जवाब की तलाश में
दर-दर भटक रही हूँ,
पर मेरे दिल की तरह
मेरे जवाबों की झोली भी
खाली है।
ये दिल मेरा…

भरा है माता-पिता के प्रति
कृतज्ञता से,
भाई-बहनों के प्रति
प्यार और दुलार से,
माँ की दी हुई सीख से
पिता के दिए हुए ज्ञान से,
दादा-दादी के दुलार से
सबने सिखाया तरह-तरह से,
अलग-अलग ढंग से
बस एक ही सीख,
औरों के लिए जीना
औरों की खुशी में खुश रहना,
बहुत-सा ज्ञान भरा है मेरे उर में
पर फिर भी,
ये दिल मेरा..कितना खाली है।

वो दिल…
जिसमें परिवार के लिए,
प्यार भरा है
पत्नी का त्याग भरा है,
माँ की ममता का सागर
हिलोरे लेता है,
बहू के कर्तव्यों से भरा है
अहर्निश की अनवरत
खुशियाँ बाँटने का
प्रयास भरा है,
फिर भी….
ये मेरा दिल..कितना खाली है…।

इस खाली दिल में,
बच्चों के टिफिन की
खुशबू,
उनकी पुस्तकों के हरफ
भरे हैं
पति की फाइलों को करीने से
रखने की फिक्र,
ससुर जी की दवाइयों की
उड़ती गंध और
सासू माँ के घुटनों की मालिश
के तेल की चिकनाहट
भरी है,
देवर-ननद के
इस्त्री के लिए,
दिए गए कपड़ों की
सिलवटें भरी हैं,
जिम्मेदारियों को सिलसिलेवार
पूरा करने की ख्वाहिशों में
कितनी सफल और,
कितनी असफल हुई
ऐसे भी अनगिनत
सवालों का अंबार भरा है,
फिर भी….
ये दिल..कितना खाली है…।

एक खाली टीन के डब्बे-सा,
जो रिश्तों की थाप से
भरे होने का भ्रम पैदा करता है,
किन्तु भीतर शून्यता का
बोध कराता है,
इस संसार में मैं क्या हूँ
कौन हूँ मैं ?
ये आज तक जाना ही नहीं
मेरी पहचान जो औरों से
परिचय कराती है मेरा,
उसमें भी मेरा अपना क्या है ?
पहले पिता
फिर पति का नाम,
जुड़ा हुआ यूँ लगता है
मानों मैं परछाई हूँ
बिना किसी अस्तित्व के,
मेरा अस्तित्व तो मेरे पिता या पति हैं
वह परछाई जो
उजाले में प्रत्यक्ष होती है,
अँधेरे में विलुप्त हो जाती है
रैन-दिवा मैं कर्मरत
पर मेरा कोई कर्म
स्वतंत्र रूप से मेरा नही,
मेरा ये दिल….
कितना खाली है..।
पर इसमें सवालों की
कभी न खत्म होने वाली
वो पूँजी है,
जो कभी समाप्त ही नहीं होती।
ये दिल मेरा….कितना खाली है ?????

परिचय-मालती मिश्रा का साहित्यिक उपनाम ‘मयंती’ है। ३० अक्टूबर १९७७ को उत्तर प्रदेश केसंत कबीर नगर में जन्मीं हैं। वर्तमान में दिल्ली में बसी हुई हैं। मालती मिश्रा की शिक्षा-स्नातकोत्तर (हिन्दी)और कार्यक्षेत्र-अध्यापन का है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप साहित्य सेवा में सक्रिय हैं तो लेखन विधा-काव्य(छंदमुक्त, छंदाधारित),कहानी और लेख है।भाषा ज्ञान-हिन्दी तथा अंग्रेजी का है। २ एकल पुस्तकें-अन्तर्ध्वनि (काव्य संग्रह) और इंतजार (कहानी संग्रह) प्रकाशित है तो ३ साझा संग्रह में भी रचना है। कई पत्र-पत्रिकाओं में काव्य व लेख प्रकाशित होते रहते हैं। ब्लॉग पर भी लिखते हैं। इनकी लेखनी का उद्देश्य-साहित्य सेवा,हिन्दी भाषा का प्रसार तथा नारी जागरूकता है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-अन्तर्मन से स्वतः प्रेरित होना है।विशेषज्ञता-कहानी लेखन में है तो रुचि-पठन-पाठन में है।

Leave a Reply