कुल पृष्ठ दर्शन : 120

You are currently viewing सवेरा हो गया

सवेरा हो गया

कमलेश वर्मा ‘कोमल’
अलवर (राजस्थान)
*************************************

उठो जागो सवेरा हो गया है,
सूरज निकला पूरब से, देखो सवेरा हो गया है
लालिमा बिखेरता चहुं ओर सूरज,
देखो सवेरा हो गया है।

चंचल किरणें उतर रही है धरा पर धीरे-धीरे,
मानो सफेद वसन पहने कोई सुंदर परी हो
अंधकार को दूर करती उतर रही हैं धीरे-धीरे,
फैला चहुं ओर उजाला लुटा रही सुंदर परी जो।
उठो जागो सवेरा हो गया है…

आसमान में फैली लालिमा, छाया गेरुआ रंग,
चंचल किरणों के स्वागत में पंछी निकले सब संग
फैला उजियारा, छाया लालिमा का रंग,
बजी मंदिरों में घंटियाँ और बज उठे शंख
भोर हुई जब सूरज निकला, दूर हुआ अंधियारा,
हो गई सुबह तो चारों ओर हो गया उजियारा।
उठो जागो सवेरा हो गया है…

नीड़ों से बाहर निकल पंछी आसमां में उड़ चले हैं,
एक पंक्ति साथ लिए सब उड़ान अपनी भर रहे हैं।
चहचहाना जारी रहा सब पंछियों का आसमान में,
प्रतिस्पर्धा से भर रहे उड़ान अपनी आसमान में।
उठो जागो सवेरा हो गया है…॥

परिचय –कमलेश वर्मा लेखन जगत में उपनाम ‘कोमल’ से पहचान रखती हैं। ७ जुलाई १९८१ को दुनिया में आई रामगढ़ (अलवर) वासी कोमल का वर्तमान और स्थाई बसेरा जिला अलवर (राजस्थान) में ही है। आपको हिन्दी, संस्कृत व अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। एम.ए. व बी.एड. तक शिक्षित कमलेश वर्मा ‘कोमल’ का कार्यक्षेत्र व्याख्याता (निजी संस्था) का है। इनकी लेखन विधा-गीत व कविता है। इनकी रचनाएं पत्र-पत्रिका में प्रकाशित हुई हैं तो ब्लॉग पर भी लेखन जारी है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-“कविता के माध्यम से विचार प्रकट करना एवं लोगों को जागरूक करना है।” पसंदीदा हिन्दी लेखक-मुंशी प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, एवं जय शंकर प्रसाद हैं तो विशेषज्ञता- पद्य में है। बात की जाए जीवन लक्ष्य की तो भारतीय समाज में सम्मान प्राप्त करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार -“राष्ट्र एक व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास राष्ट्र पर निर्भर करता है। हिंदी हमारी राष्ट्र और मातृत्व भाषा है, जो सरल तरीके से समझी और बोली भी जा सकती है। इसलिए इसे बढ़ाया ही जाना चाहिए।”

Leave a Reply