कुल पृष्ठ दर्शन : 496

You are currently viewing माह है सावन-खुशियाँ आँगन

माह है सावन-खुशियाँ आँगन

संजय सिंह ‘चन्दन’
धनबाद (झारखंड )
********************************

पावन सावन मन का आँगन…

सावन माह बड़ा मनभावन,
हरियाली संग बड़ा लुभावन
बरखा पानी मस्त सुहावन,
भक्ति शिव का माह ये पावन
जंगल हरा-भरा कर आया सावन,
खिले फूल हैं घर-घर आँगन।

घोर घटा, घनघोर है बादल,
ओस कीं बूँदें, धरती आँचल
जोर है बारिश निर्झर कल-कल,
नदियाँ बहती कल-कल, छल-छल।

बड़े उफान में यमुना-गंगा जल,
सोन की नहरें, लाए दलदल
खेत-खलिहान दिखते जल-जल,
कुआं-तालाब में भरता वर्षा जल।

दिखे नजारा घर-घर-आँगन,
मस्त है सावन, माह ये पावन
धरती का श्रृंगार लुभावन,
शिव भक्ति में सभी सुहावन।

भोले भंडारी का प्रिय माह है सावन,
महाकाल, विश्वनाथ को भाता सावन
बैद्यनाथ केसरिया लिपट सुहाता सावन,
नर-नारी,युवक-युवती मे प्रेम रंग चढ़ाता सावन।

मस्त माह यह सावन पावन,
मदमस्त बनाता मन का आँगन
रिश्तों में स्नेह जगाता,
रिश्ता नया बनाता सावन।
सबके मन को भाता सावन,
दृश्य दिखाता मन के आँगन॥

Leave a Reply