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साथ-साथ…

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’ 
उदयपुर (राजस्थान)
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कहने को
लगता है हम सब
साथ-साथ हैं,
मगर बुरे वक्त में ही
पता चलता है
कौन किसके साथ हैl
उगते सूर्य को,
प्रणाम करना संसार
की नियति है,
ढलते हुए को नहीं
मतलबपरस्त
इंसान तब तक ही
साथ होता है,
जब तक उसका
स्वार्थ अधूरा होता हैl
स्वार्थ पूरा होते ही,
दूध में मक्खी की तरह
निकाल कर,
हमें फेंक देता है…ll

परिचय–निर्मल कुमार जैन का साहित्यिक उपनाम ‘नीर’ है। आपकी जन्म तिथि ५ मई १९६९ और जन्म स्थान-ऋषभदेव है। वर्तमान पता उदयपुर स्थित हिरणमगरी (राजस्थान)एवं स्थाई गोरजी फला ऋषभदेव जिला-उदयपुर(राज.)है। आपने हिंदी और संस्कृत में स्नातकोत्तर किया है। कार्य क्षेत्र-शिक्षक का है।  सामाजिक व धार्मिक गतिविधियों में निरंतर सहभागिता करते हैं। श्री जैन की लेखन विधा-हाइकु,मुक्तक तथा गद्य काव्य है। लेखन में प्रेरणा पुंज-माता-पिता और धर्मपत्नी है। रचनाओं का प्रकाशन विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में हुआ है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा को समृद्ध व प्रचार-प्रसार करना है। 

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