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सावन और बुआजी का आना

सुनील जैन राही
पालम गांव(नई दिल्ली)

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सावन और बुआजी हर साल आते हैं। सावन के आते ही बच्‍चे खुश हो जाते हैं। सावन की बारिश में नहाने का मजा,पानी में कूद कर लाला जी की धोती को गंदा करने का आनंद और लाला जी का हमारे पीछे-पीछे दौड़ना। मास्‍टरजी साइकल से आते हैं। उनकी पीठ पर मिटटी और पानी के दाग सर्फ की याद दिलाते हैं। सावन की बारिश सरकारी खेप (मदद) की तरह होती है। रुक-रुक कर आती है। सावन में बादलों का आना चुनाव जैसा होता है। सावन में बहुत कुछ आता है। मिठाइयां,राखी,नारियल-खोया बर्फी,घेवर के साथ-साथ और आती हैं बुआजी।
बुआजी के आने से घर में रौनक आ जाती है। सभी उनके खौफ से भयभीत हो जाते हैं। बुआ की पसंद की साड़ी लाना पूरे घर के लिए परीक्षा की घड़ी होती है। साड़ी काली है तो क्‍यों,सफेद है तो क्‍यों,नीली क्‍यों नहीं लाए। मैं क्‍या काली हूँ जो कफन के रंग से साड़ी उठा लाए ! ये कोई साड़ी में साड़ी है! झन्‍ना कपड़े की साढ़ी। अंटी में दाम दबाय अपने लिए नरक में बंगला बनाओगे ?
बच्‍चे खुश हैं,बुआजी के खौफ से उनका कोई लेना-देना नहीं है। वे खुश हैं-सभी बुआजी के खौफ से दुखी हैं। पता नहीं,किस बात पर किसकी टोपी उछल जाए। बच्‍चों को खुशी होती है,उन्‍हें जो डांटते हैं,वे डांट खा रहे हैं।
खैर,बुआजी मंत्री की तरह चमचमाती किराये की गाड़ी से नीचे उतरीं। सारे घर के साँपों को साँप सूंघ गया। साँप तो सूंघना ही था,बुआजी के साथ-साथ फुफाजी भी जो थे। ‘एक तो नीम चढ़ा ऊपर से करेला।’ पहले बुआजी ही क्‍या कम थीं,ऊपर से फुफाजी,जिनकी नाक नहीं है,लेकिन नाक पर मक्‍खी नहीं बैठने देते। फुफाजी की शिक्षा और दीक्षा का कोई शिलालेख मौजूद नहीं था। बुआजी ने भी कक्षा पांच तक पढ़ कर स्‍कूल को और घर को धन्‍य कर दिया। उन्‍होंने फुफाजी से शादी करके घर को बेघर कर दिया। इस घर में फरमाइश पूरी नहीं होती थी और फूफाजी के घर जाकर फरमाइश करने वालों को इस लायक भी नहीं छोड़ा।
खैर,इंतजार की घडि़यां समाप्‍त हुईं। बुआजी ने गाड़ी से पैर बाहर रखा और घर की बहुओं ने कतार बनाकर पैर छूना शुरू किया। सी.बी.आई. की नज़रों से देखा। डकराते हुए बोलीं-“चों रे,ननुआ कहां है।” चाची ने हकलाते हुए जवाब दिया-‘स्‍कूल गया।’
बुआ जी अर्रा पड़ीं-“आज की छुटटी नहीं हो सकती थी। मैं आ रही हूँ,मालूम नहीं था ?” सभी बच्‍चे मुँह दबा कर हँस रहे थे। बुआजी के आने की खुशी में छुटटी जो हो गई थी।
बुआ जी को पानी पिलाकर शांत किया गया। घर की स्थिति तनावपूर्ण,लेकिन नियंत्रण में थी। बुआजी की चिरोरी गाँव में पधारे नेता की तरह करने में लगे थे। इस बार बुआजी का दौरा ठीक एक वर्ष के बाद हुआ। वैसे हर साल बीच-बीच में औचक निरीक्षण भी हो जाता था। घर के कोने-कोने का निरीक्षण हो रहा था। सभी भयभीत थे। ऐसा लग रहा था इनकम टैक्‍स की रेड पड़ी हो। निरीक्षण समाप्‍त करते ही दालान में पड़ी चारपाई पर भ्रष्‍टाचार की तरह जम गईं।
रात की मीटिंग समाप्‍त हो चुकी थी। मंत्री की तरह ऑफिस की फाइलों को देखकर सबको अपनी पैनी नजरों से कहा-देखा और धन्‍यवाद और इस तरह राखी की तैयारी का पूरा जायजे और जायके के साथ सम्‍पन्‍न हुआ।
राखी के बाद बुआजी चली गईं। ऐसा लगा जैसे कर्फ्यू उठ चुका था। स्थिति सामान्‍य हो गई। बुआजी का आना सुनामी-सा खतरनाक और उनका जाना भूकम्‍प का बिना नुकसान के चले जाने जैसा था। इस बार बुआजी के आने के बाद भी कोई बादल नहीं फटा। यही इस सावन की सबसे बड़ी उपलब्धि थी।
सभी बुआजी एक जैसी नहीं होती। किसी बुआ के आने से घर तनाव में और किसी बुआ के आने घर खुशी में बदल जाता है।

परिचय-आपका जन्म स्थान पाढ़म(जिला-मैनपुरी,फिरोजाबाद)तथा जन्म तारीख २९ सितम्बर है।सुनील जैन का उपनाम `राही` है,और हिन्दी सहित मराठी,गुजराती(कार्यसाधक ज्ञान)भाषा भी जानते हैं।बी.कॉम.की शिक्षा खरगोन(मध्यप्रदेश)से तथा एम.ए.(हिन्दी,मुंबई विश्वविद्यालय) से करने के साथ ही बीटीसी भी किया है। पालम गांव(नई दिल्ली) निवासी श्री जैन के प्रकाशन खाते में-व्यंग्य संग्रह-झम्मन सरकार,व्यंग्य चालीसा सहित सम्पादन भी है।आपकी कुछ रचनाएं अभी प्रकाशन में हैं तो कई दैनिक समाचार पत्रों में लेखनी का प्रकाशन होने के साथ आकाशवाणी(मुंबई-दिल्ली)से कविताओं का सीधा और दूरदर्शन से भी कविताओं का प्रसारण हो चुका है। राही ने बाबा साहेब आम्बेडकर के मराठी भाषणों का हिन्दी अनुवाद भी किया है। मराठी के दो धारावाहिकों सहित करीब १२ आलेखों का अनुवाद भी कर चुके हैं। इतना ही नहीं,रेडियो सहित विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में ४५ से अधिक पुस्तकों की समीक्षाएं प्रसारित-प्रकाशित हो चुकी हैं। आप मुंबई विश्वविद्यालय में नामी रचनाओं पर पर्चा पठन भी कर चुके हैं। कुछ अखबारों में नियमित व्यंग्य लेखन करते हैं। एक व्यंग्य संग्रह अभी प्रकाशनाधीन हैl नई दिल्ली प्रदेश के निवासी श्री जैन सामाजिक गतिविधियों में भी सक्रीय है| व्यंग्य प्रमुख है,जबकि बाल कहानियां और कविताएं भी लिखते हैंl आप ब्लॉग पर भी लिखते हैंl आपकी लेखनी का उद्देश्य-पीड़ा देखना,महसूस करना और व्यक्त कर देना है।

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