कुल पृष्ठ दर्शन : 234

You are currently viewing सुन लो हे बृजराज

सुन लो हे बृजराज

बोधन राम निषाद ‘राज’ 
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
**********************************

गैया आगे श्याम जी,हलधर भी है साथ।
पीछे सब हैं ग्वालिनें,लिए हाथ में हाथ॥

कही राधिका श्याम से,तू तो है चितचोर।
चित्त चुरा कर ले गया,नटखट नंदकिशोर॥

माधव बिन सूना लगे,ये सारा ब्रजधाम।
सोच रही है राधिका,कब आएँगे श्याम॥

हे प्रभु दीनदयाल तू,रखना मेरी लाज।
करूँ वंदना आपकी,सुन लो हे बृजराज॥

गुरु आज्ञा वन को चलें,कृष्ण सुदामा साथ।
लिए चने की पोटली,लाठी कम्बल हाथ॥

बैठ सुदामा वृक्ष पर,वर्षा की थी रात।
चने पोटली खा लिए,नहीं कृष्ण से बात॥

मोर मुकुट सिर शोभते,बंशीधर गोपाल।
तुम ही मेरे प्राण प्रिय,नंद यशोदा लाल॥

मनमोहन राधा रमण,तुझे पुकारे आज।
दर्शन की है आस प्रभु,आओ हे बृजराज॥

माधव मदन मुरार हे,मेरे सुन्दर श्याम।
मन मंदिर में आ बसो,कृपा करो सुखधाम॥

श्याम श्याम रटती रही,तनया श्री वृषभान।
साँझ सवेरे प्रार्थना,आओ कृपा निधान॥

Leave a Reply