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सेवा रूपी प्रकाश से ही मिटेगा आतंकवाद का अंधकार

सुशीला रोहिला
सोनीपत(हरियाणा)
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आज विश्व में आतंकवाद का तिमिर फैला हुआ है। इस तिमिर को नष्ट करने के लिए सभी को एकजुट होना पड़ेगा। विज्ञान और अध्यात्म का समन्वय ही आंतकवादी सोच को समाप्त कर सकता है।
ईश्वर ने मानव को प्रकृति का सुख एक समान दिया है। सूर्य का प्रकाश, चाँद की शीतलता,हवा का चलना और प्रकृति के सभी सुख सबको समान रूप से मिलते हैं।
हे मानव तू अंधकार में क्यों भटकता है,आतंक अंधकार है। इसलिए, विवेक का प्रकाश अपने चित्त में जगाकर पूरे विश्व को अपने विवेक की आँखों से देखो तो चारों और तुम्हें सभी अपने भाई-बहन परिवार सगे- संबंधी मित्र ही नजर आएँगेl
ईश्वर की प्रेम रूपी दृष्टि को अपने मन की आँख बनाकर पूरे विश्व को अपनाकर अपनी शक्ति को मानवता की रक्षा करने,उनकी सेवा करने और दीन-दुखियों की सेवा में लगाओ। ऐसा करने पर तुम यहाँ भी सुख,स्वर्ग और शांति को प्राप्त करोगे और आगे भी सत्कर्मो के खजाने से निर्वाण को प्राप्त होगे। सभी भाई-बहनों से आग्रह है कि,सदभावना से युक्त होकर सेवा रूपी प्रकाश से आतंकवाद का अंधकार मिटाएं।

परिचय-सुशीला रोहिला का साहित्यिक उपनाम कवियित्री सुशीला रोहिला हैl इनकी जन्म तारीख ३ मार्च १९७० और जन्म स्थान चुलकाना ग्राम हैl वर्तमान में आपका निवास सोनीपत(हरियाणा)में है। यही स्थाई पता भी है। हरियाणा राज्य की श्रीमती रोहिला ने हिन्दी में स्नातकोत्तर सहित प्रभाकर हिन्दी,बी.ए., कम्प्यूटर कोर्स,हिन्दी-अंंग्रेजी टंकण की भी शिक्षा ली हैl कार्यक्षेत्र में आप निजी विद्यालय में अध्यापिका(हिन्दी)हैंl सामाजिक गतिविधि के तहत शिक्षा और समाज सुधार में योगदान करती हैंl आपकी लेखन विधा-कहानी तथा कविता हैl शिक्षा की बोली और स्वच्छता पर आपकी किताब की तैयारी चल रही हैl इधर कई पत्र-पत्रिका में रचनाओं का प्रकाशन हो चुका हैl विशेष उपलब्धि-अच्छी साहित्यकार तथा शिक्षक की पहचान मिलना है। सुशीला रोहिला की लेखनी का उद्देश्य-शिक्षा, राजनीति, विश्व को आतंकवाद तथा भ्रष्टाचार मुक्त करना है,साथ ही जनजागरण,नारी सम्मान,भ्रूण हत्या का निवारण,हिंदी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा बनाना और भारत को विश्वगुरु बनाने में योगदान प्रदान करना है। लेखन में प्रेरणा पुंज-हिन्दी है l आपकी विशेषज्ञता-हिन्दी लेखन एवं वाचन में हैl

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