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सोए संस्कार को जगाएंगे

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड) 
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यह दुनिया है एक फुलवारी,
यहां रंग-बिरंगे फूल खिलते हैं
बात करूं मैं संस्कारों की तो,
आजकल राम नहीं मिलते हैं।

बिहार देखा बंगाल देखा,
और देख चुका मैं चहुँओर
बेटा तो मैंने घर-घर देखा,
श्रवण दिखा ना कहीं ओर।

प्रगति की ओर सभी बढ़ते हैं,
ज्ञानीजन भी अब घर-घर मिलते हैं।
आधुनिकता की इस भयानक दौड़ में,
हरिश्चंद्र,बाली,कर्ण कहां खिलते हैं॥

आज माता-पिता बेटे को देते कार,
पर वह तो संस्कार देना भूल गए
हरदम चिंतित कि बेटा हो रोजगारी,
पर उसे परोपकारी बनाना भूल गए।

चाँद न बदला सूर्य न बदला,
और न बदला है सत्य महान
समय और प्रगति को देखकर,
स्वार्थी बन बदल गया इंसान।

सतयुग से चला था इन्सान,
त्रेता,द्वापर से लिया ज्ञान
चलो लगाओ आज ध्यान,
द्वार खड़ा अब कलि महान।

सतयुग बीता सत्य बनाने में,
त्रेतायुग बीता वचन निभाने में।
द्वापर में चला सत्ता की बागडोर,
कलि तो बढ़ रहा स्वार्थ की ओर ।

आओ मिलकर ध्यान कर लें,
सत्य असत्य का भान कर लें।
भारत को पुनः महान बनाएंगे,
पुनः सोए संस्कार को जगाएंगे॥

परिचय– साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैL जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैL भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैL साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैL आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैL सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंL लेखन विधा-कविता एवं लेख हैL इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैL पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंL विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।

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