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हमारे गाँव

वाणी बरठाकुर ‘विभा’
तेजपुर(असम)
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बार-बार लौट जाते हैं,
हमारे गाँव की उन
धूल-कीचड़ भरी राहों पर,
गाय बछड़े बैलों के झुंड से
धुँधले धूल भरी राहों पर,
चलते युवाओं के कदम…
दोनों किनारों पर,
लहराते धान के खेत
खेतों में चिड़ियों की
किलकारी में मदहोश मन…
बरामदे में बच्चों के
जोर-शोर से पढ़ते हुए धुन,
दूर-दूर से बहती
ग्वालन की मीठी
धीमी-धीमी बंशी का सुर।
नारियल ताम्बुल पेड़ों पर
उछलती-कूदतीं गिलहरियाँ।
अमलतास के पेड़ों पर खिले
सुनहरे हृदय के फूल,
नीचे गिरते हुए
आमआँवला,जामुन, बैर
बटोरते हुए रसीले दिन।
पोखर में जाल लेकर,
मछली पकड़ने के लिए
चलते गांववासी के झुंड।
मन ढूंढता रहता है,
बचपन में विद्यालय से आते
विद्यार्थियों के दल,
मतवाली हवाएँ
उड़ा ले जाती हैं,
उन रंगीन दिनों में
स्मृतियों में खो जाती हूँ।
उन हरियाले गाँवों में,
बार-बार लौट जाता है मन
मेरे अपने गाँव में॥

परिचय:श्रीमती वाणी बरठाकुर का जन्म-११ फरवरी और जन्म स्थान-तेजपुर(असम)है। इनका साहित्यिक उपनाम ‘विभा’ है।  वर्तमान में शहर तेजपुर(शोणितपुर,असम)में निवास है। स्थाई पता भी यही है। असम प्रदेश की विभा ने हिन्दी में स्नातकोत्तर,प्रवीण (हिंदी) और रत्न (चित्रकला)की शिक्षा पाई है। इनका कार्यक्षेत्र-शिक्षिका (तेजपुर) का है। श्रीमती बरठाकुर की लेखन विधा-लेख,लघुकथा,काव्य,बाल कहानी,साक्षात्कार एवं एकांकी आदि है। प्रकाशन में आपके खाते में किताब-वर्णिका(एकल काव्य संग्रह) और ‘मनर जयेइ जय’ आ चुकी है। साझा काव्य संग्रह में-वृन्दा,आतुर शब्द तथा पूर्वोत्तर की काव्य यात्रा आदि हैं। आपकी रचनाएँ कई पत्र-पत्रिकाओं में सक्रियता से छपती रहती हैं। सामाजिक-साहित्यिक कार्यक्रमों में इनकी  सक्रिय सहभागिता होती है। विशेष उपलब्धि-एकल प्रकाशन तथा बाल कहानी का असमिया अनुवाद है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-नूतन साहित्य कुञ्ज है। इनकी विशेषज्ञता चित्रकला में है। माँ सरस्वती की कृपा से आपको सारस्वत सम्मान (कलकत्ता),साहित्य त्रिवेणी(कोलकाता २०१६),सृजन सम्मान(पूर्वोत्तर हिंदी साहित्य अकादमी,तेजपुर २०१७), महाराज डाॅ.कृष्ण जैन स्मृति सम्मान (शिलांग),बृजमोहन सैनी सम्मान (२०१८) एवं सरस्वती सम्मान(दिल्ली) आदि मिल चुके हैं। एक संस्था की अध्यक्ष संस्थापिका भी हैं। आपकी रुचि-साहित्य सृजन,चित्रकारी,वस्त्र आकल्पन में है। आप सदस्य और पदाधिकारी के रुप में कई साहित्यिक संस्थाओं से भी जुड़ी हुई हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-हिंदी द्वारा सम्पूर्ण भारतवर्ष एक हो तथा एक भाषा के लोग दूसरी भाषा-संस्कृति को जानें,पहचान बढ़े और इससे भारत के लोगों के बीच एकता बनाए रखना है। 

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