कुल पृष्ठ दर्शन : 226

You are currently viewing हम

हम

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
**************************************

दीपक स्वयं हाथ रखे,हृदय तले पीर है,
तलाश रहे प्रकाश को नैनों भरे नीर है।

मनमर्जी की भरमार है,आदतों से लाचार,
होली में दीप जलाये दीवाली अबीर है।

लड़खड़ाते हड़बड़ाये,भागमभाग मचाये,
भौंचक से औचक देखो,किसी को ना धीर है।

निर्धन धन खूब दिखाते,धनिक धन छिपाते,
झोपड़ी लिखा रंगमहल,महलों में कुटीर है।

जुबान में तेज धार कर,छेद करे सीने में,
लक्ष्य भेद पता नहीं कुछ,बस फेंकते तीर है।

खाये तो चिकनी चुपड़ी स्वाद इंद्री है तेज,
काम से तो जी चुराते पर बड़े वाग्वीर है।

कलम पर जो पकड़ ढीली,कागज में मस फैले,
ग़ज़ल,सजल,फजल हुई वे स्वयंभू मीर है॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

Leave a Reply