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हरियाली गुम हो चली

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी
कुशीनगर(उत्तर प्रदेश)

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विश्व धरा दिवस स्पर्धा विशेष………

मौसम में है अब कहाँ,पहले जैसी बात।
जाड़े में जाड़ा नहीं,गलत समय बरसात॥

मौसम तो बरसात का,किन्तु बरसते नैन।
सूखी-सूखी ये धरा,पंछी भी बेचैनll

आँखों में बादल नहीं,दिल के सूखे खेत।
हरियाली गुम हो चली,दिखती केवल रेत॥

बादल के दल आ गये,ले दलदल का रूप।
रूप दलन का देख कर,बिलख रही है धूपll

पशुओं को बन्धक बना,हम लेते आनन्द।
आजादी खुद चाहते,कितने हैं मतिमन्दll

धन असली है खो रहा,यह पूरा संसार।
नाम कहूँ तो पेड़ है,जो धरती का सारll

असली धन है गाँव में,हरियाली है नाम।
याद करूँ जब शहर को,दिखलाई दे जामll

मेरा घर हो गाँव में,अरु पीपल के पास।
जीवनभर मिलता रहे,स्वर्ग भर एहसासll

परिचय-वकील कुशवाहा का साहित्यिक उपनाम आकाश महेशपुरी है। इनकी जन्म तारीख २० अप्रैल १९८० एवं जन्म स्थान ग्राम महेशपुर,कुशीनगर(उत्तर प्रदेश)है। वर्तमान में भी कुशीनगर में ही हैं,और स्थाई पता यही है। स्नातक तक शिक्षित श्री कुशवाहा क़ा कार्यक्षेत्र-शिक्षण(शिक्षक)है। आप सामाजिक गतिविधि में कवि सम्मेलन के माध्यम से सामाजिक बुराईयों पर प्रहार करते हैं। आपकी लेखन विधा-काव्य सहित सभी विधाएं है। किताब-‘सब रोटी का खेल’ आ चुकी है। साथ ही विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है। आपको गीतिका श्री (सुलतानपुर),साहित्य रत्न(कुशीनगर) शिल्प शिरोमणी सम्मान(गाजीपुर)प्राप्त हुआ है। विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी से काव्यपाठ करना है। आकाश महेशपुरी की लेखनी का उद्देश्य-रुचि है।

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