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हिंदीभाषा माला

मधुसूदन गौतम ‘कलम घिसाई’
कोटा(राजस्थान)
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(तर्ज:चांदी की दीवार न तोड़ी, प्यार भरा दिल…,रचना विधान-१६,१४ पर यति वाला,ताटक छंद पर आधारित)

हे हिंदी तू उर में सजती,सुमन सुगन्धित माला है,
तुझसे ही यह भारत विकसित,तैने इसे सँभाला है।

तेरे ही आँचल ने पाला,तुझसे सब बहना-भाई,
तेरे शब्दों से खेल-खेल,दुनिया में ताकत पाई।

तेरे रस-छंद-अलंकारों,ने अपनी बोली चमकाई,
शब्द सहज और अर्थ असीम,जिससे आसानी आई।

भारत छोड़ विदेशों में भी,तैने किया उजाला है।
हे हिंदी तू उर में सजती,सुमन सुगन्धित माला है।

जाने कब तेरा जन्म हुआ,यह तो कोई ज्ञात नहीं।
अलग-अलग मत विद्वानों के,कहते सब इक बात नहीं।

पर बसती आई है दिल में,अलग कोई जज़्बात नहीं।
कोई तुझ पर कितना बोले,इसमें कोई निष्णात नहीं।

कितने लेखनकर्ताओं ने,अपने दिल में पाला है।
हे हिंदी तू उर में बसती,सुमन सुगन्धित माला हैll

परिचय–मधुसूदन गौतम का स्थाई बसेरा राजस्थान के कोटा में है। आपका साहित्यिक उपनाम-कलम घिसाई है। आपकी जन्म तारीख-२७ जुलाई १९६५ एवं जन्म स्थान-अटरू है। भाषा ज्ञान-हिंदी और अंग्रेजी का रखने वाले राजस्थानवासी श्री गौतम की शिक्षा-अधिस्नातक तथा कार्यक्षेत्र-नौकरी(राजकीय सेवा) है। कलम घिसाई की लेखन विधा-गीत,कविता, लेख,ग़ज़ल एवं हाइकू आदि है। साझा संग्रह-अधूरा मुक्तक,अधूरी ग़ज़ल, साहित्यायन आदि का प्रकाशन आपके खाते में दर्ज है। कुछ अंतरतानों पर भी रचनाएँ छ्पी हैं। फेसबुक और ऑनलाइन मंचों से आपको कुछ सम्मान मिले हैं। ब्लॉग पर भी आप अपनी भावनाएं व्यक्त करते हैं। इनकी लेखनी का उद्देश्य-समय का साधनामयी उपयोग करना है। प्रेरणा पुंज-हालात हैं।

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