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हिंदी में सामान्य अशुद्धियों-गलतियों को सुधारने के बताए उपाय

संगोष्ठी…

दिल्ली।

विश्व हिंदी सचिवालय, केंद्रीय हिंदी संस्थान, अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद, वातायन यूके और भारतीय भाषा मंच के तत्वावधान में वैश्विक हिंदी परिवार द्वारा ‘अच्छी हिंदी और विविध आयाम’ विषय पर आभासी साप्ताहिक संगोष्ठी आयोजित की गई। मुख्य वक्ता प्रखर लेखक व भाषा शास्त्री डॉ. सुरेश पंत ने हिंदी में सामान्य अशुद्धियों और गलतियों को सुधारने के उपाय बताए तथा सत्र में विभिन्न सामान्य शब्दों, व्याकरण और मानक हिंदी के प्रयोग की महत्वपूर्ण चर्चा की।
डॉ. महादेव एस. कोलूर के अनुसार चीन के हिंदीसेवी डॉ. विवेक मणि द्वारा संगोष्ठी में आगमित सभी अतिथियों और श्रोताओं का स्वागत किया गया। रेल मंत्रालय के निदेशक डॉ. वरुण कुमार ने अच्छी हिंदी के संबंध में लघु ‘पूर्वपीठीका’ प्रस्तुत करते हुए वक्ता डॉ. पंत का पटल पर स्वागत किया।
संगोष्ठी में डॉ. पंत ने अच्छी हिंदी पर चर्चा करते हुए बताया कि लोग किस प्रकार से शब्दों का गलत प्रयोग करते हैं, जैसे ‘सशक्तिकरण’ का ‘शक्ति करण’ लिखना, और इसके सही रूपों के बारे में जानकारी दी। आपने अच्छी हिंदी भाषा प्रयोग के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा भी की, जिसमें शब्द प्रयोग की शुद्धता (‘लब्ध प्रतिष्ठित’ का सही प्रयोग ‘प्रतिष्ठित’), व्याकरणिक नियम, भाषा का विकास, नए शब्दों का निर्माण, भाषाई विविधता रहे।
डॉ. वरुण कुमार ने मुख्य वक्ता के साथ शब्दों के प्रचलन और उत्पत्ति के रोचक प्रश्नोत्तर की चर्चा का बखूबी निर्वाह करते हुए हिंदी भाषा की महत्वता और इसके प्रयोग पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में यूके वातायन की संरक्षक दिव्या माथुर, जापान के
हिंदीसेवी प्रो. तोमियो मिजोकामी‌, कनाडा से डॉ. शैलजा सक्सेना, अमेरिका से अनूप भार्गव एवं योगेन्द्र मिश्र आदि हिंदी विद्वानों और श्रोतागण की प्रतिभागिता रही।

अनिल जोशी ने अध्यक्षीय उद्बोधन में हिंदी में प्रयुक्त पारिभाषिक शब्द, प्रादेशिक शब्द, अंग्रेजी शब्द और क्षेत्रीय बोलीयों को समेकित कर सरल हिंदी भाषा की बात रखी। आपने हिंदी भाषा के सही प्रयोग पर नितांत विचार करने और विषय को गंभीरता से लेने की बात कही। सुनीता पाहुजा ने सभी का आभार आभार प्रकट किया।