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झुमकी का `मदर्स-डे`

‘अन्तर्राष्ट्रीय मातृत्व दिवस’ १० मई विशेष……….


ग्यारह बज रहा है,केसर अभी तक नहीं आई। हैरान-परेशान पल्लवी झाड़ू लेकर आई ही थी कि,तभी केसर अपनी बेटी झुमकी को लेकर आ गई। पल्लवी ने अपने गुस्से को नियंत्रित कर बोला-“कितनी देर कर दी केसर ? ग्यारह बज रहे हैं,मैं कब खाना बनाऊंगी ? चल जल्दी से बर्तन मांज दे,फिर साफ सफाई करना।” तभी पल्लवी का ध्यान झुमकी पर जाता है,वह भी अपनी माँ का काम में हाथ बंटा रही थी। झुमकी बहुत ही प्यारी और सलीकेदार लड़की है। उम्र तो कोई १०-११ वर्ष होगी,किंतु बहुत धीर-गंभीर बच्ची है। उसे देख पल्लवी का गुस्सा भी ठंडा पड़ गया। पल्लवी कुछ बना रही थी,तो उसने झुमकी को अपनी सहायता के लिए बुला लिया।
“ले जरा इसको चम्मच से घुमा तो…,थोड़ा-थोड़ा दूध डालते जाना।”
`जी दीदी…l` कह वह बड़ी तल्लीनता से काम में लग गई। घोल तैयार हुआ तो पल्लवी ने उसे ग्रीस किए हुए बर्तन में डालकर ओवन में रख दिया।
“दीदी क्या बना रहे हो ?”
`केक…।`
“केक…..ओह,किसका बर्डे है आज ?”
“मम्मी का! पूरी दुनिया की मम्मीयों का बर्थडे है आज।”
`अरे!`
“हाँ झुमकी! आज `मदर्स-डे` मतलब माँ का दिन है। यूँ तो रोज ही माँ का दिन होता है,किंतु आज हम कुछ विशेष करके माँ के प्रति प्यार का इजहार करते हैं।इसलिए केक बनाकर शाम को उनसे केक कटवाएंगे, आज माँ की किचन से भी छुट्टी कर दी है,आज मैं ही उनकी पसंद का खाना बना रही हूँ।”
झुमकी बड़े ध्यान से पल्लवी की बात सुन रही थीl शायद वह भी मन ही मन में कुछ प्लान कर रही थी।
“झुमकी,आज शाम को तू भी आ जाना। आएगी ना ….?”
`मैं मैं मैं….` जैसे झुमकी नींद से जागी हो….l
`हाँ दीदी।`
वह अपने ही ख्यालों में खोई थी। केक तो वह बना नहीं सकती थी,फिर मैं कैसे मदर्स-डे मनाऊँ ?
काम खत्म कर झुमकी माँ के साथ घर लौटीl अपनी गुल्लक में से पैसे निकाले तो कोई १८ ₹ हो रहे थे। उसने अपने छोटे भाई मोनू को मदर्स-डे का बताया तो वह भी अपनी गुल्लक उठा लाया।
“ले जीजी,इसमें से भी निकाल ले।” दोनों की गुल्लक से कोई ३२ ₹ इकठ्ठे हुए।
अब क्या करें ? इतने में तो केक आएगा नहीं। तभी मोनू बोला-“अरे जीजी,हमारी माँ ने तो केक कभी खाया ही नहीं,अपन मिठाई की दुकान पर चलते हैंl जो केक जैसी दिखेगी,वही मिठाई ले आएंगे।”
झुमकी को भी मोनू की बात जंच गई। दोनों शाम को खेलने के बहाने निकले और मिठाई की दुकान पर पहुंच गए।
“भैया,कोई केक जैसी मिठाई चाहिए।”
दुकानदार ने पहले तो उन्हें घूर कर देखा,फिर शायद उसे दया आ गईl कुछ नरम पड़ता हुआ बोला- “….कितने पैसे हैं तुम्हारे पास ?”
मोनू बड़े रौब से बोला- “…..ये देखो,पूरे ३२ रुपए।”
“कौन-सी मिठाई चाहिए ?”
`कोई भी,जो केक जैसी हो।`
`केक जैसी! क्यों ?`
“आज मदर्स-डे है ना…जीजी को केक बनाते नहीं आताl हम माँ को आज ऐसी मिठाई खिलाएंगे,जो उन्होंने पहले कभी नहीं खाई हो,इसलिए भैया जो आपके पास सबसे अच्छी मिठाई है,वही देना हमें।”
बच्चों की बातें सुन दुकानदार का भी दिल पसीज गया। बोला-“किन्तु तुम्हारे पास पैसे बहुत कम है, इनसे तो केवल २ ही मिल्क केक आएंगे।”
“हाँ,तो दे दो ना भैया…..l” झुमकी ने गुहार लगाई।
दोनों खुशी-खुशी मिठाई लेकर घर आएl झुमकी ने माँ को बुलाया,तभी मोनू आरती की थाली लेकर आ गया। मोनू अपनी माँ को वैसे ही टीका लगाकर आरती उतार रहा था,जैसे उसकी माँ उसके जन्मदिन पर करती थीं। माँ कुछ समझ पाती,इससे पहले ही झुमकी ने माँ के मुँह में पूरा मिल्क केक रख दिया। तभी केसर को पल्लवी की सुबह कही बात याद आ गई। केसर ने अपने दोनों अनमोल हीरों को सीने से लगा लिया। अपने अबोध बच्चों से अनमोल संस्कार का यह उपहार पाकर केसर धन्य हो गई थी। आज इस मदर्स- डे पर गरीब माँ की झोपड़ी उसके बच्चों द्वारा दिए उपहार की मीठी गंध से सुवासित हो उठी थी।

परिचय : सुश्री नमिता दुबे का जन्म ग्वालियर में ९ जून १९६६ को हुआ। आप एम.फिल.(भूगोल) तथा बी.एड. करने के बाद १९९० से वर्तमान तक शिक्षण कार्य में संलग्न हैं। आपका सपना सिविल सेवा में जाना था,इसलिए बेमन से शिक्षक पद ग्रहण किया,किन्तु इस क्षेत्र में आने पर साधनहीन विद्यार्थियों को सही शिक्षा और उचित मार्गदर्शन देकर जो ख़ुशी तथा मानसिक संतुष्टि मिली,उसने जीवन के मायने ही बदल दिए। सुश्री दुबे का निवास इंदौर में केसरबाग मार्ग पर है। आप कई वर्ष से निशक्त और बालिका शिक्षा पर कार्य कर रही हैं। वर्तमान में भी आप बस्ती की गरीब महिलाओं को शिक्षित करने एवं स्वच्छ और ससम्मान जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। २०१६ में आपको ज्ञान प्रेम एजुकेशन एन्ड सोशल डेवलपमेंट सोसायटी द्वारा `नई शिक्षा नीति-एक पहल-कुशल एवं कौशल भारत की ओर` विषय पर दिए गए श्रेष्ठ सुझावों हेतु मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा और कौशल मंत्री दीपक जोशी द्वारा सम्मानित किया गया है। इसके अलावा श्रेष्ठ शिक्षण हेतु रोटरी क्लब,नगर निगम एवं शासकीय अधिकारी-कर्मचारी संगठन द्वारा भी पुरस्कृत किया गया है।  लेखन की बात की जाए तो शौकिया लेखन तो काफी समय से कर रही थीं,पर कुछ समय से अखबारों-पत्रिकाओं में भी लेख-कविताएं निरंतर प्रकाशित हो रही है। आपको सितम्बर २०१७ में श्रेष्ठ लेखन हेतु दैनिक अखबार द्वारा राज्य स्तरीय सम्मान से नवाजा गया है। आपकी नजर में लेखन का उदेश्य मन के भावों को सब तक पहुंचाकर सामाजिक चेतना लाना और हिंदी भाषा को फैलाना है।

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