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हूँ मौन

अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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है तो बहुत
दर्द सुनाएँ किसे ?
पर हूँ मौन।

बिखरा घर
यूँ गुजरी जिन्दगी
लगी नजर। 

बिखरे रिश्ते  
सब थे मुरझाए
जा मिलें कब ?

आसमां थे वो
कब हाथ छुड़ाया 
मेरे नहीं जो।

नहीं पूछूंगा 
हाल दिल का कभी 
जा किया मुक्त॥