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चूं चूं का `मतदान`

सुनील जैन राही
पालम गांव(नई दिल्ली)

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जैसे गर्मी बढ़ रही है,पार्क में बरसाती मेंढकों की तरह कसरत करने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है। पहले तो बूढ़े कैलोस्ट्राल कम करने के लिए कमरे को कमर बनाने पर तुले थे,अब तो कमर वाले भी कमरा वालों से प्रतियोगिता करने में लगे हैं। चच्चा पसीने में तरबतर थे। जैकेट का त्याग हो चुका था। वैसे देखा जाए तो अभी जैकेट और टोपी का मौसम १९ मई तक चलेगा। उसके बाद टोपी और जैकेट या तो संसद में दिखाई देगी या फिर दीवार की खूंटी पर।
चच्चा ने चक्कर पूरा किया और पेड़ के नीचे पड़ी बैंच पर अपने-आपको डाल दिया। दूसरी बैंच पर अलसाये बैठे झम्‍मन को नहीं देख पाए। झम्‍मन ने चच्‍चा को देखा और तमतमा गए और झल्‍लाए स्‍वर में बोले।
झम्‍मन-चच्‍चा सलाम। रमजान चल रहे हैं, इसलिए हम आपसे ज्‍यादा कुछ नहीं कहेंगे। इच्‍छा तो कर रही है कि तबियत से गरिया दें।
चच्‍चा-अरे मियाँ,झम्‍मन अब बता भी दो। चुनाव के महीने में सभी गरिया रहे हैं,तुम गरिया दो। बस इतना खयाल रखना कि माँ-बहन पर मत आना। अन्‍यथा अभी हाथों में इतना दम है कि खोपड़ी का कीमा बना दे।
झम्‍मन-चच्‍चा। इस आधुनिक युग में बुढापा सभी को आ रहा है,लेकिन आपका बुढ़ापा निराला है।
चच्‍चा-क्‍या मतलब ?
झम्‍मन-मतलब यह कि,बच्‍चे से लेकर बच्‍चे की दादी अम्‍मा तक मोबाइल लिए ठुमक रही है और एक आप हैं कि——।
चच्‍चा-(बीच में बात काटते हुए) मतलब मोबाइल से है। हमारी मर्जी है।
झम्‍मन-क्‍या मतलब ?
चच्‍चा-हम रखें या ना रखें।
झम्‍मन-मैं सुबह से मोबाइल मिला रहा हूँ।
चच्‍चा-चच्‍चा,एक बात बताओ।
झम्‍मन-हाँ बोलो। सुबह जाप पार्टी,धाप पार्टी और मुक्‍का पार्टी के लोग आए थे। एक जाप पकड़ा गए,दूसरे धाप दे गए। बेटा देख लेना। तीसरे धमका गए। अबकी तो बच गए,अगली बार देख लेंगे—-अगर।
चच्‍चा-मोबाइल तुम्‍हारी सुविधा के लिए है या हर ऐरे-गेरे नत्‍थूगेरे की सुविधा के लिए।
झम्‍मन-नहीं,वह तो हमारी निजी सम्‍पत्ति है। हम चाहें तो चालू रखें या उसका टेंटुआ दबा दें।
चच्‍चा-तो आ गया ना समझ में। कल से मोबाइल को मुर्दा मोड पर डाल दिया है। सिम निकाल कर फ्रिज में रख दी है। जिससे खराब न हो और मोबाइल को तिजोरी में पटक दिया है,नोटों की तरह सुरक्षित।
झम्‍मन-चच्‍चा जब फोन है तो उसे चालू भी रखना चाहिए। पता नहीं कौन-सी खबर आ जाए।
चच्‍चा-बेटा झम्‍मन। फोन इसलिए बंद किया। माँ का जनाजा कांधे पर है,भाई की अर्थी निगमबोध घाट में रखी है,टैफिक में बाइक पर बंदा भागा जा रहा है,बाप एम्‍बुलेंस में है, प्रेमिका के गले में बाँहें डाले बैठे हैं,मेट्रो में किसी को घूर रहे हैं,पाखाने में बैठे हैं,किसी चहेते के फोन का इंतजार कर रहे हैं और फिर शुरू होता है,निजता के अधिकार का हनन-मैं केजरीवाल बोल रहा हूँ,मैं मोदी बोल रहा हूँ,मैं शीला दीक्षित बोल रही हूँ।
झम्‍मन-हाँ,तो है।
चच्‍चा-तो फिर क्‍या करुं।
झम्‍मन-चच्‍चा ये तो आपने सही कहा। अब आपके दिन ही कितने बचे हैं। जो किसी खबर से उत्‍साहित और निराश हों।
चच्‍चा-सुबह-सुबह आ गए हो ठंडा हो लो और एक-एक गिलास जूस हो जाए।
झम्‍मन-बताओ इस बार कौन-सी पार्टी को वोट करोगे ? या नोटा में वोट फूंक दोगे।
चच्‍चा-देखो झम्‍मन। वोट देना मेरा अधिकार है। वोट तो मैं दूंगा,लेकिन किस पार्टी को दूंगा,वो क्‍यों बताऊं। कल एग्जिट पोल वाले पोल खोल देंगे।
झम्‍मन-चच्‍चा। आखिर आप तो समझते हैं कि मेरे पेट में और दिल्‍ली जमना में इतना कीचड़ भरा है,उसमें थोड़ा और इजाफा हो जाएगा।
चच्‍चा-देखो इस बार वोट हम उसे देंगे,जिसके जीतने की उम्‍मीद ना हो।
झम्‍मन-क्‍या मतलब ?
चच्‍चा-मतलब साफ है। जो जीत जाता है,वह नदारद भी हो जाता है। वह जिस गांव को गोद लेता है,गाँव अनाथ हो जाता है।
झम्‍मन-वाह।
चच्‍चा-लोकतंत्र के लिए धर्म निरपेक्षता और साम्‍प्रदायिकता दोनों ही जरूरी हैं। केवल धर्म निरपेक्षता और केवल साम्‍प्रदायिकता से लोकतंत्र नहीं चलता। जब जिसकी जरूरत हो, उसे अपना लिया जाए।
झम्‍मन-चच्‍चा। भाषण मत दिया करो।
चच्‍चा-देखो,जो चुनाव जीतकर जाएगा। सरकारी निधि पाएगा,जिसे सांसद निधि कहा जाता है। सांसद निधि यानी जो जीतकर आया है,उसकी निधि। उसका वह किस स्‍तर तक दुरुपयोग करता है,यह उस निर्भर है। ५ साल में २५ करोड़ पाता है,वह करोड़पति बन जाता है, गाँव केवल गाँव रह जाता है। जनता को यह पूछने का भी अधिकार नहीं है कि इतने रुपयों का क्‍या किया ? भाड़ में झोंकॆ,अय्याशी की, स्विस बैंक में जमा किए,फ्लैट बनाये और भी न जाने क्‍या-क्‍या ?
झम्‍मन-इसका मतलब। हमें वोट नहीं करना चाहिए।
चच्‍चा-वोट तो करना चाहिए। इनको डर बना रहे ताकि ये कुछ ना कुछ करते रहें।

परिचय-आपका जन्म स्थान पाढ़म(जिला-मैनपुरी,फिरोजाबाद)तथा जन्म तारीख २९ सितम्बर है।सुनील जैन का उपनाम `राही` है,और हिन्दी सहित मराठी,गुजराती(कार्यसाधक ज्ञान)भाषा भी जानते हैं।बी.कॉम.की शिक्षा खरगोन(मध्यप्रदेश)से तथा एम.ए.(हिन्दी,मुंबई विश्वविद्यालय) से करने के साथ ही बीटीसी भी किया है। पालम गांव(नई दिल्ली) निवासी श्री जैन के प्रकाशन खाते में-व्यंग्य संग्रह-झम्मन सरकार,व्यंग्य चालीसा सहित सम्पादन भी है।आपकी कुछ रचनाएं अभी प्रकाशन में हैं तो कई दैनिक समाचार पत्रों में लेखनी का प्रकाशन होने के साथ आकाशवाणी(मुंबई-दिल्ली)से कविताओं का सीधा और दूरदर्शन से भी कविताओं का प्रसारण हो चुका है। राही ने बाबा साहेब आम्बेडकर के मराठी भाषणों का हिन्दी अनुवाद भी किया है। मराठी के दो धारावाहिकों सहित करीब १२ आलेखों का अनुवाद भी कर चुके हैं। इतना ही नहीं,रेडियो सहित विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में ४५ से अधिक पुस्तकों की समीक्षाएं प्रसारित-प्रकाशित हो चुकी हैं। आप मुंबई विश्वविद्यालय में नामी रचनाओं पर पर्चा पठन भी कर चुके हैं। कुछ अखबारों में नियमित व्यंग्य लेखन करते हैं। एक व्यंग्य संग्रह अभी प्रकाशनाधीन हैl नई दिल्ली प्रदेश के निवासी श्री जैन सामाजिक गतिविधियों में भी सक्रीय है| व्यंग्य प्रमुख है,जबकि बाल कहानियां और कविताएं भी लिखते हैंl आप ब्लॉग पर भी लिखते हैंl आपकी लेखनी का उद्देश्य-पीड़ा देखना,महसूस करना और व्यक्त कर देना है।