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मुझे बज़्म में तुम…

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी
कुशीनगर(उत्तर प्रदेश)

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मुझे बज़्म में तुम बुलाते हो साहबl
मगर नाम भी भूल जाते हो साहब।

जो तोड़ा है रिश्ता मुझे भूल जाओ,
मेरा नाम क्यों गुनगुनाते हो साहब ?

तुझे चाँद जबसे कहा है तभी से,
मुझे दिन में तारे दिखाते हो साहब।

सितम ही किया तुमने इतना ज़ियादा,
मुझे आज भी याद आते हो साहब।

यूँ मेरी तरह क्या मेरी याद में भी,
कभी आँसूओं से नहाते हो साहब ?

जिधर भी मुड़ा मैं गिरा ठेस खा के,
क्यों राहों में पत्थर बिछाते हो साहब ?

गिला सिर्फ आकाश इस बात का है,
समन्दर के माफ़िक रुलाते हो साहबll

परिचय-वकील कुशवाहा का साहित्यिक उपनाम आकाश महेशपुरी है। इनकी जन्म तारीख २० अप्रैल १९८० एवं जन्म स्थान ग्राम महेशपुर,कुशीनगर(उत्तर प्रदेश)है। वर्तमान में भी कुशीनगर में ही हैं,और स्थाई पता यही है। स्नातक तक शिक्षित श्री कुशवाहा क़ा कार्यक्षेत्र-शिक्षण(शिक्षक)है। आप सामाजिक गतिविधि में कवि सम्मेलन के माध्यम से सामाजिक बुराईयों पर प्रहार करते हैं। आपकी लेखन विधा-काव्य सहित सभी विधाएं है। किताब-‘सब रोटी का खेल’ आ चुकी है। साथ ही विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है। आपको गीतिका श्री (सुलतानपुर),साहित्य रत्न(कुशीनगर) शिल्प शिरोमणी सम्मान(गाजीपुर)प्राप्त हुआ है। विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी से काव्यपाठ करना है। आकाश महेशपुरी की लेखनी का उद्देश्य-रुचि है।

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