बोधन राम निषाद ‘राज’
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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शरद पूर्णिमा स्पर्धा विशेष…..
कितना सुन्दर मौसम देखो,
सतरंगी बन आया है।
वन-उपवन अब लगे सुहाना,
सबके मन को भाया हैll
धूप लगे है शीतल अब तो,
लगे आसमां प्यारा है।
हरियाली से आच्छादित वन,
देखो कितना न्यारा हैll
कल-कल बहती नदिया देखो,
झरना भी शरमाया है।
कितना सुन्दर मौसम आया…
लाल पलास लगे अंगारा,
दिल में आग लगाई है।
झूम उठा है अम्बर सारा,
दिल में आस जगाई हैll
भँवरे मँडराते फूलों पर,
दिल भी उनपे आया है।
कितना सुन्दर मौसम आया…
वसुंधरा का आँचल महके,
चूनर फूलों वाली है।
केशर की क्यारी को देखो,
सरसों भी मतवाली हैll
सर सरोज की कलियाँ सुंदर,
जल में रूप दिखाया है।
कितना सुन्दर मौसम आया…ll