कुल पृष्ठ दर्शन : 257

You are currently viewing इकरार कर लिया

इकरार कर लिया

शिखा सिंह ‘प्रज्ञा’
लखनऊ (उत्तरप्रदेश)
*************************************************

एकतरफा मोहब्बत का इजहार कर लिया,
हमने भी आज उनसे फिर प्यार कर लिया।

वो कहते रहे तेरे पास ना आयेंगे,
बिना कहे उनके हमने इकरार कर लिया।

छुपी खामोशी जो उनके चेहरे पर थी,
मत पूछो कैसे उनपे ऎतबार कर लिया।

एक शिकन माथे पे ना हमने आने दिया,
खुदी को चुपचाप मैंने तैयार कर लिया।

कोई शिकायत नहीं की कभी मैंने उनसे,
हमने अपनी जिंदगी को बेकार कर लिया।

गम की चादर ताने यूँ हम सोते रहे,
ये गुनाह ‘प्रज्ञा’ फिर से एक बार कर लिया॥

परिचय-शिखा सिंह का साहित्यिक उपनाम ‘प्रज्ञा’ है। लखनऊ में २७ अक्टूबर १९९७ को जन्मी और वर्तमान में स्थाई रुप से लखनऊ स्थित चिनहट में बसेरा है। शिखा सिंह ‘प्रज्ञा’ को हिंदी,इंग्लिश व भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। उत्तरप्रदेश निवासी शिखा सिंह ने इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग में डिप्लोमा एवं गणित में स्नातक की शिक्षा प्राप्त की है। इनकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होना जारी है। कवियित्री के रूप में आप सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य है। लेखन खाते में ‘उर्विल’ काव्य संग्रह है,तो सम्मान-पुरस्कार में प्रमाण-पत्र तथा अन्य मंच द्वारा सम्मान हैं। ये ब्लॉग पर भी काव्य क्षेत्र में निरन्तर तत्पर हैं। विशेष उपलब्धि-कला,नृत्य,लेखन ही है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-स्वयं के व्यक्तित्व का उत्थान कवियित्री के रुप में करते हुए अपनी रचनाओं से लोगों को मनोरंजित-शिक्षित करना है। गुलज़ार को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाली ‘प्रज्ञा’ के लिए प्रेरणापुंज-महादेवी वर्मा हैं। इनकी विशेषज्ञता-काव्य है तो जीवन लक्ष्य-सफल व्यक्तित्व की प्राप्ति है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हमारा देश निरन्तर एक समृद्ध देश के रुप में उभर रहा है,यह अत्यंत गर्व का विषय है, और इस दिशा में हमारी मातृभाषा हिन्दी का सर्वोपरि स्थान है,परन्तु आजकल हिंदी से ज्यादा अंग्रेजी भाषा को महत्व दिया जा रहा है,इसलिए हम सभी को अपनी भाषा के उत्थान के लिए सफल प्रयास करना होगा।

Leave a Reply