डॉ. रामबली मिश्र ‘हरिहरपुरी’
वाराणसी(उत्तरप्रदेश)
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भाव प्रकट कर,
जीवित हो कर।
सबका बन करll
कृतज्ञ बनोगे,
दिल में होगे।
साथ चलोगेll
उपकृत बनना,
सदा चहकना।
संग निबहनाll
भूल न जाना,
भान कराना।
स्मरण दिलानाll
हाव-भाव से,
चाल-चलन से।
पावन मन सेll
बन आभारी,
उपकृतकारी।
शिष्टाचारीll