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माँ ही तो है मेरी जां

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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मैं रोज ही पूजा करती हूँ,
भगवान समान है मेरी माता
कुछ नहीं मैं उनके बिना-
मानो मेरी जान है माता।

दिया जन्म उसने मुझको,
बहुत ही प्यार से पाला
अंधकारमय जीवन में-
मानो उसने उजियारा डाला।

माँ नमन तुझे मैं करती हूँ,
तुम नमन मेरा स्वीकार करो
हाथ जोड़ विनती करती हूँ-
विनती मेरी स्वीकार करो।

मैं तो खामोश ही रहती हूँ,
आवाज बोलती है मेरी माँ।
मानो मेरा निर्जीव शरीर-
माँ ही तो है मेरी जां॥

परिचय-श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।