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हो अखंड सौभाग्य

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)

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पावनता उर में लिए,करती नारी पर्व।
नारी के सद्भाव पर,करता हर इक गर्व॥
करता हर इक गर्व,नार तो प्रीति निभाती।
हो अखंड सौभाग्य,चौथ को देव मनाती॥
नारी गहती धर्म,इसी से है मानवता।
जब तक करवा चौथ,रहेगी नित पावनता॥

नारी करवा चौथ पर,नीर बिना उपवास।
नारी में तेजत्व है,हो जाता आभास॥
हो जाता आभास,अमर सिन्दूर बनाती।
माता करवा चौथ,हर्ष से हैं भर जाती॥
दाम्पत्य खुशहाल,सुवासित दुनिया सारी।
सावित्री-सा तेज,धारती हर इक नारी॥

नारी तो सम्पूर्ण है,रीति,नीति अरु धर्म।
नैतिकता की लाज है,है शुचिता का मर्म॥
दाम्पत्य को नेह से,देती सदा बुहार।
नारी ने फैला दिया,है सतीत्व-उजियार॥
है अंतर बलवान,कभी भी वह नहिं हारी।
सचमुच में बलवान,जगत में सबसे नारी॥

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।

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