सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़र
देवास (मध्यप्रदेश)
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जिंदगी की खातिर (मजदूर दिवस विशेष)…..
उसकी व्यथा वो ही जाने,
रहता बड़ा मज़बूर है
मालिक की हाँ में हाँ बोले,
वो एक बाल मज़दूर है।
खेले-कूदे स्कूल जाए,
उसका भी मन करता है
मित्रों संग पिकनिक मनाए,
उसको अच्छा लगता है
पर नहीं भाग्य में ये सब उसके,
लिखी ग़रीबी नसीब में जिसके।
बच्चा होकर बचपन से वो,
लगता बहुत ही दूर है।
मालिक की हाँ में हाँ बोले,
वो एक बाल मजदूर है॥
माँ तो करती बहुत प्यार है,
पर वो बड़ी मज़बूर है
भाग्य की मारी वो बेचारी,
वो भी इक मज़दूर है
झाड़ू, पोंछा, बर्तन करती,
कपड़े धोती, पानी भरती
चार घरों काम करके,
चूल्हे का इंतज़ाम है करती।
ये कैसा जीवन है उसका ?
हरदम ग़मों से चूर है।
मालिक की हाँ में हाँ बोले,
वो एक बाल मज़दूर है॥
शासन ने प्रतिबंध लगाए,
बाल श्रम कानून बनाए
भ्रष्टाचारी के इस युग में,
सुविधा उन तक पहुँच न पाए।
ग़रीब से बढ़कर दुनिया में,
कोई नहीं मज़बूर है
उसकी व्यथा वो ही जाने,
रहता बड़ा मज़बूर है।
मालिक की हाँ में हाँ बोले,
वो एक बाल मज़दूर है॥
परिचय-सुरेन्द्र सिंह राजपूत का साहित्यिक उपनाम ‘हमसफ़र’ है। २६ सितम्बर १९६४ को सीहोर (मध्यप्रदेश) में आपका जन्म हुआ है। वर्तमान में मक्सी रोड देवास (मध्यप्रदेश) स्थित आवास नगर में स्थाई रूप से बसे हुए हैं। भाषा ज्ञान हिन्दी का रखते हैं। मध्यप्रदेश के वासी श्री राजपूत की शिक्षा-बी.कॉम. एवं तकनीकी शिक्षा(आई.टी.आई.) है।कार्यक्षेत्र-शासकीय नौकरी (उज्जैन) है। सामाजिक गतिविधि में देवास में कुछ संस्थाओं में पद का निर्वहन कर रहे हैं। आप राष्ट्र चिन्तन एवं देशहित में काव्य लेखन सहित महाविद्यालय में विद्यार्थियों को सद्कार्यों के लिए प्रेरित-उत्साहित करते हैं। लेखन विधा-व्यंग्य,गीत,लेख,मुक्तक तथा लघुकथा है। १० साझा संकलनों में रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है तो अनेक रचनाओं का प्रकाशन पत्र-पत्रिकाओं में भी जारी है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में अनेक साहित्य संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया है। इसमें मुख्य-डॉ.कविता किरण सम्मान-२०१६, ‘आगमन’ सम्मान-२०१५,स्वतंत्र सम्मान-२०१७ और साहित्य सृजन सम्मान-२०१८( नेपाल)हैं। विशेष उपलब्धि-साहित्य लेखन से प्राप्त अनेक सम्मान,आकाशवाणी इन्दौर पर रचना पाठ व न्यूज़ चैनल पर प्रसारित ‘कवि दरबार’ में प्रस्तुति है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-समाज और राष्ट्र की प्रगति यानि ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-मुंशी प्रेमचंद, मैथिलीशरण गुप्त,सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ एवं कवि गोपालदास ‘नीरज’ हैं। प्रेरणा पुंज-सर्वप्रथम माँ वीणा वादिनी की कृपा और डॉ.कविता किरण,शशिकान्त यादव सहित अनेक क़लमकार हैं। विशेषज्ञता-सरल,सहज राष्ट्र के लिए समर्पित और अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिये जुनूनी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
“माँ और मातृभूमि स्वर्ग से बढ़कर होती है,हमें अपनी मातृभाषा हिन्दी और मातृभूमि भारत के लिए तन-मन-धन से सपर्पित रहना चाहिए।”