प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
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स्नेह के धागे…
राखी में तो धर्म है, परंपरा का मर्म।
लज्जा रखने का करें, सारे ही अब कर्म॥
राखी धागा प्रीति का, भावों का संसार।
राखी नेहिलता लिए, नित्य निष्कलुृष प्यार॥
राखी बहना-प्रीति है, मंगलमय इक गान।
राखी है इक चेतना, जीवन की मुस्कान॥
राखी तो अनुराग है, अंतर का आलोक।
हर्ष बिखेरे नित्य ही, परे हटाये शोक॥
राखी इक अहसास है, राखी इक आवेग।
भाई के बाजू बँधा, खुशियों का मृदु नेग॥
राखी वेदों में सजी, महक रहा इतिहास।
राखी हर्षित हो रही, लेकर मीठी आस॥
राखी में जीवन भरा, बचपन का आधार।
राखी में रौनक भरी, देती जो उजियार॥
भाई हो यदि दूर तो, डाक निभाती साथ।
नहीं रहे सूना कभी, वीरा का तो हाथ॥
यही कह रहा है ‘शरद’, राखी का कर मान।
वरना होना तय समझ, मूल्यों का अवसान॥
राखी में आवेश है, राखी में उल्लास।
राखी है संवेदना, राखी है उत्साह॥
राखी दूरी को हरे, बिखराती है नूर।
कर देती संबंध के, वह सारे दु:ख दूर॥
मत कर तू अवमानना, राखी पावन गीत।
रिश्तों को है जोड़ती, राखी बनकर मीत॥
परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।